World Mental Health Day: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव रहित जीवन जीना मुश्किल काम लगता है. आज के समय में हर एक व्यक्ति अपनी किसी न किसी समस्या से परेशान है और चिंताओं के साथ अपना जीवन बिता रहा है. आज की युवा पीढ़ी तनाव दूर करने या मस्ती के लिए नशा करती है. और वह धीरे-धीरे नशे की गिरफ्त में आ जाती है. अत्यधिक नशा से न सिर्फ हमारा मस्तिष्क प्रभावित होता है, बल्कि हम मानसिक रोगी भी बन जाते हैं. लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थीम है स्वास्थ्य और सभी की भलाई को वैश्विक प्राथमिकता बनाना.
सदर अस्पताल में मानसिक रोग विभाग के डॉक्टर दीपक गिरि ने बताया नशे की समस्या खासकर युवाओं में एक विकराल रूप लेती जा रही है. एक समय ऐसा आता है कि व्यक्ति नशे के बिना रह नहीं सकता. इस स्थिति में उसे मानसिक समस्याएं होने लगती हैं. कई बार यह समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि व्यक्ति आत्महत्या तक कर लेता है. उन्होंने बताया कि एमजीएम ओपीडी में प्रतिदिन अगर 100 मरीज मनोरोग का इलाज कराने के लिए आते हैं तो उनमें 10 से 15 मरीज ऐसे होते है जो नशे के आदि होते हैं. नशा मस्तिष्क को बुरी तरह से प्रभावित करता है.
डॉ. दीपक गिरि ने बताया कि मानसिक रोग पागलपन नहीं है. आज के समय में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मानसिक रोगियों को पागल समझ लेते हैं. उनका सही से इलाज नहीं कराते है जिससे बीमारी बढ़ती जाती है. उन्होंने कहा कि मानसिक रोग को दवा से ठीक किया जा सकता है. नशा छुड़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में तीन सेंटर चलाये जा रहे हैं. इसमें तंबाकू रोक थाम केंद्र, सदर अस्पताल में मनोरोग ओपीडी, ओएसटी (ओरल सब्सटीट्यूशन थेरेपी) केंद्र इन जगहों पर काउंसलर नियुक्त है जो नशा के अभ्यस्त लोगों की काउंसिलिंग करते हैं और उन्हें नशा छुड़ाने की दवा भी देते हैं. अलग-अलग नशा करने वालों अलग-अलग लक्षण होते है जैसे सिगरेट व तंबाकू खाने वाले चिड़चिड़ापन व गुस्सा अधिक आता है. शराब पीने वाले डिप्रेशन व उदासी के शिकार हो जाते हैं. जिले के सभी ब्लॉक में मनोरोग विभाग समय-समय पर शिविर लगाकर लोगों को जागरूक भी करता है.