World Tribal Day: जमशेदपुर की सुनीता हेम्ब्रम की बांधनी पेंटिंग और सिलाई के कद्रदानों में टाटा स्टील भी शामिल

World Tribal Day: सुनीता हेम्ब्रम एक आम आदिवासी युवती हैं, जिनके सपने छोटे हैं. चूंकि उन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की है, इसलिए वह घर पर ही रहती हैं और घर के कामों से अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं.

By Mithilesh Jha | August 9, 2024 10:00 AM

World Tribal Day: जमशेदपुर के बिरसानगर की रहने वाली आदिवासी युवती सुनीता हेम्ब्रम ने आदिवासी कला को एक नई पहचान दी है. उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि उनकी बांधनी पेंटिंग और सिलाई के कद्रदानों में टाटा स्टील जैसी कंपनी भी शामिल है.

बांधनी पेंटिंग और सिलाई के जरिए संबल बनीं सुनीता हेम्ब्रम

सुनीता ने अपने अंदर के हुनर को पहचाना. इसके बाद उस हुनर को और बेहतर किया. फिर अपनी बांधनी पेंटिंग और सिलाई के जरिये खुद संबल बनीं और अपने साथ 6 महिलाओं को भी स्वरोजगार का साधन उपलब्ध कराया.

आम आदिवासी युवती को है कढ़ाई और रंग-रोगन का शौक

सुनीता हेम्ब्रम एक आम आदिवासी युवती हैं, जिनके सपने छोटे हैं. चूंकि उन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की है, इसलिए वह घर पर ही रहती हैं और घर के कामों से अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं. उनको कढ़ाई और रंग-रोगन का बहुत शौक है.

यू-ट्यूब से सीखने के बाद बांधनी आर्ट और पेंटिंग शुरू की

उन्होंने अपने बड़े भाई के मोबाइल से यू-ट्यूब से कुछ हुनर सीखे और बांधनी आर्ट और पेंटिंग करना शुरू की. उन्होंने इसको अपने लिए शुरू किया. सबसे पहले उन्होंने अपना सफेद स्टोल पेंट किया, फिर उनके भाई ने अपनी सफेद टी-शर्ट दी और इस तरह उनका सफर बढ़ने लगा.

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बिरसानगर के सामुदियाक केंद्र में महिलाओं के समूह से जुड़ी

उनके आस-पास के लोगों और उनको जानने वालों से ऑर्डर मिलने लगा. वह बिरसानगर के सामुदायिक केंद्र में महिलाओं के एक समूह से जुड़ी और फिर उनके साथ मिलकर सिलाई और पेंटिंग के अलग-अलग तरीके सीखने लगीं. अब उनके साथ 6 महिलाओं का एक समूह है, जो कढ़ाई और बांधनी पेंटिंग (कपड़ों को रंगने का एक तरीका) करता है.

2023 में टाटा स्टील फाउंडेशन के जोहार हाट में लगाया स्टॉल

अप्रैल 2023 में वह टाटा स्टील फाउंडेशन के जोहार हाट गयी थीं और तब से हाट में एक स्टॉल लगाना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने लोगों के लिए ऐसे उत्पाद बनाना शुरू किया, जिन्हें वे रोजाना इस्तेमाल कर सकें. बेडशीट, कुशन कवर, पिलो कवर, स्टोल और बहुत कुछ बनाना शुरू किया और फिर दिसंबर के महीने में जोहार हाट में भाग लेने का मौका मिला.

जोहार हाट में सुनीता हेम्ब्रम को मिली कई सीख

वहां उन्होंने कारीगरों और आगंतुकों से सीखा कि सिर्फ उत्पाद बनाना ही काफी नहीं है, उन्हें बाजार में बेचना होगा और अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उनका प्रचार भी करना होगा.

…और इस तरह अपने उत्पाद की मार्केटिंग करने लगी सुनीता

फिर उन्होंने स्थानीय दुकानों से संपर्क करना शुरू किया और कपड़ा दुकानों में अपने हाथ से बने सामान को बढ़ावा देने के लिए सहमत हो गयीं. वर्तमान में वह जुगसलाई, बारीडीह और साकची की तीन दुकानों को अपने उत्पाद की सप्लाई कर रही हैं. साथ ही उन्हें टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन टीएसएएफ से भी ऑर्डर मिला है.

हो समाज के पूजा-पाठ का डॉक्यूमेंटेशन कर रहीं सुमन

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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से पासआउट सीतारामडेरा निवासी सुमन पूर्ति हो समाज के पूजा-पाठ व रीति-रिवाज का डॉक्यूमेंटेशन कर रही हैं. वे माघे और बाहा पर्व पर काम पूरा कर चुकी हैं. हेरो पर्व पर अभी डॉक्यूमेंटेशन चल रहा है.

वीडियो और फिल्म के जरिए आदिवासी परंपरा को बढ़ा रहीं आगे

कई विद्वानों ने पहले भी हो समाज के रहन-सहन और रीति-रिवाज पर पुस्तक के रूप में डॉक्यूमेंटेशन किया है, लेकिन सुमन वीडियो और फिल्म के जरिये इस समाज की पूजा पद्धति और रीति-रिवाज को सामने ला रही हैं.

आदिवासी होने के बाद भी डॉक्यूमेंशन करने में हो रही परेशानी

समाज से होने के बाद भी उन्हें डॉक्यूमेंटेशन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि शहर में पली-बढ़ी होने के कारण ग्रामीणों से घुलने-मिलने में दिक्कत हो रही है. इसलिए इसमें वक्त लग रहा है. इसके लिए उन्हें टाटा स्टील संवाद से स्कॉलरशिप मिली है. वह बताती हैं कि इन चीजों का डॉक्यूमेंटेशन करना जरूरी है.

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