साइबर क्राइम का गढ़ बना झारखंड का जामताड़ा, 22 राज्यों की पुलिस है परेशान

जामताड़ा : झारखंड का एक पिछड़ा जिला जहां लोगों की शिक्षा का स्‍तर भी बहुत बेहतर नहीं है, वह देशभर के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. 22 राज्‍यों की पुलिस जामताड़ा के साइबर अपराधियों से परेशान है. आये दिन यहां के साइबर आपराधी कोई ना कोई घटना को अंजाम दे देते हैं. जामताड़ा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 3, 2017 10:57 PM

जामताड़ा : झारखंड का एक पिछड़ा जिला जहां लोगों की शिक्षा का स्‍तर भी बहुत बेहतर नहीं है, वह देशभर के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. 22 राज्‍यों की पुलिस जामताड़ा के साइबर अपराधियों से परेशान है. आये दिन यहां के साइबर आपराधी कोई ना कोई घटना को अंजाम दे देते हैं. जामताड़ा के करमाटांड़-नारायणपुर इलाके आज साइबर बैंक ठगी के गढ़ बन चुके हैं. इलाके के गांवों के किशोर व युवा धड़ाधड़ साइबर अपराध के दलदल में धंसते चले जा रहे हैं. इस कारण क्षेत्र के अर्थशास्त्र से लेकर समाजशास्त्र तक बदल रहे हैं.

प्रभात खबर की टीम ने इस जिले की ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए जब वहां पहुंची तो लोग वहां के बारे में बात करने से कतराते मिले. हमारे रिपोर्टर आशीष कुंदन ने जब करमाटांड़ स्‍टेशन पर एक व्‍यक्ति से करमाटांड़ के बारे में पूछा, तो वह थोड़ा असहज हो गया. फिर अगल-बगल झांकते हुए धीरे से कहने लगा- ‘मत पूछिये जनाब! मैं यहीं का बाशिंदा हूं. कोलकाता में काम करता हूं, लेकिन वहां किसी को नहीं बताता कि करमाटांड़ का हूं. करमाटांड़ का नाम सुनते ही लोग संदिग्ध नजरों से देखने लगते हैं.

उन्‍होंने कहा कि पूर्व में स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि होने के कारण इस जगह का नाम आदर से लिया जाता था. अब बाहर यह बात बताने में शर्म होता है.’ करमाटांड़ देश भर की पुलिस के रडार पर है. ऐसा इसलिए कि देश भर में लोगों के बैंक खाते से रुपये उड़ानेवाली साइबर ठगी के अधिकतर आरोपी इसी करमाटांड़ और पड़ोसी थाना क्षेत्र नारायणपुर से ताल्लुक रखते हैं.

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इस इलाके से हाल के समय में की गयी साइबर ठगी का पुलिस रिकॉर्ड इस बात को प्रमाणित करता है. इन दोनों थाना क्षेत्रों में साइबर क्राइम की पड़ताल के लिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान-निकोबार, ओड़िशा, जम्मू कश्मीर समेत 22 राज्यों की पुलिस पहुंच चुकी है. हर दिन किसी न किसी राज्य व जिले की पुलिस यहां आरोपियों की खोज में आती है. करीब 50 से अधिक साइबर आरोपियों को विभिन्न प्रांतों की पुलिस गिरफ्तार कर अपने साथ ले जा चुकी है.

कहां-कहां से चलता है धंधा

कालाझरिया, झिलुवा, कांसीटांड़, सियांटांड़, शीतलपुर, मोहनपुर, सिकरपुसनी सहित दर्जनों गांव. अब देवघर जिले का करौं, आसनबनी, चितरा घोरमारा, गिरिडीह जिले का बेंगाबाद, गांडेय, धनबाद जिले का निरसा, गोविंदपुर व टुंडी में फैल रहा है.

अब तक 150 से अधिक आरोपी जा चुके हैं जेल

जून 2015 से लगातार करमाटांड़ व नारायणपुर पुलिस की छापेमारी जारी है. अन्य राज्यों की पुलिस अब तक 45 साइबर ठगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी जामताड़ा व अन्य जिलों की पुलिस द्वारा करीब 100 से अधिक साइबर ठगी के आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.

1000 युवाओं का सिंडिकेट

करमाटांड़ थाना क्षेत्र में कुल 150 गांव हैं. पुलिस के आंकड़ों की मानें तो 100 गांवों के युवा साइबर अपराध से जुड़ गये हैं. इस काम में 12 से 25 साल के करीब 80 प्रतिशत युवा जुड़े हुए हैं. 1000 से अधिक युवाओं का सिंडिकेट भी चल रहा है. किसी भी व्यक्ति से एटीएम नंबर व पिन जानने के बाद उनके खाते से रुपये उड़ाने में इन्हें महज तीन मिनट का ही समय लगता है. इन्हें परिजनों का समर्थन भी प्राप्त है.

केंद्रीय मंत्री व सिने स्टार को भी लगा चुके हैं चूना

एक केंद्रीय मंत्री से साइबर ठगों ने करीब 1.80 लाख रुपये ठग लिये. जांच करने आये पार्लियामेंट स्ट्रीट नयी दिल्ली थाने के इंस्पेक्टर राजेश ने करमाटांड़ से दो आरोपियों को पकड़ा था. केरल के सांसद से की गयी 1.60 लाख की ठगी. मामला संसद भवन दिल्ली थाने में दर्ज कराया गया था. उस कांड में भी यहां से धनंजय व पप्पू मंडल की गिरफ्तारी हुई थी. एक बड़े चर्चित सिने स्टार से दो लाख रुपये की ठगी की गयी थी. महाराष्ट्र पुलिस जांच करने पहुंची थी. हाल में गुजरात पुलिस की टीम भी छापेमारी करने पहुंची थी.

बेशुमार धन ने बदली जीवन-शैली

बिना मेहनत की हो रही अवैध कमाई से साइबर अपराधियों का लाइफस्टाइल ही बदल गया है. पैदल चलने वाले लोग अचानक महंगी चमचमाती गाड़ियों में घूमने लगे हैं. ये लोग दैनिक जीवन में पानी की तरह पैसे खर्च करते हैं. इससे जहां नयी पीढ़ी गुमराह हो रही है, वहीं परिवार व समाज के लोग भी इनका समर्थन करने लगे हैं. समाज में यह मैसेज जा रहा है कि बच्चों को बेहतर पढ़ाई कराने से अच्छा है साइबर अपराधी बनाना.

जितना धन आम लोग जिंदगी भर में नहीं कमा पाते साइबर ठग कुछ महीनों में ही कमा ले रहे हैं. स्थिति यह है कि कतिपय युवाओं को जब मन होता है तो बंगाल आदि से नर्तकी लाकर अड्डे पर नचाते हैं और नोटों की गड्डी उड़ाते हैं. एक बार तो एक सिने अभिनेत्री के कार्यक्रम के लिए बात फाइनल कर ली गयी थी. इसके लिए 20 लाख रुपये बतौर एडवांस तक दे दिया गया था. प्रशासन को जानकारी हुई तो अनुमति नहीं दी गयी. इसके बाद उन लोगों का 20 लाख रुपये वापस भी नहीं हुए. इसका उन लोगों को कोई मलाल नहीं है.

3 जुलाई को साइबर क्राइम के 11 आरोपियों को मिहिजाम पुलिस ने किया गिरफ्तार

मिहिजाम पुलिस ने साइबर क्राइम गिरोह के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस अधीक्षक डॉ जया राय के निर्देश पर मिहिजाम थाना प्रभारी अजय कुमार सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने साइबर क्राइम गिरोह के कुल 11 अपराधियों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पुलिस ने इनके पास से दो लाख नगद, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, पासबुक, एटीएम आदि जब्त किया है.

सोमवार को एसडीपीओ कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान एसडीपीओ पूज्य प्रकाश ने बताया कि साइबर क्राइम के पूरे चेन का पर्दाफाश हो गया है. गिरफ्तार अपराधी में से कोई फरजी बैंक अधिकारी बनकर ठगी करता था, तो कोई कमीशन पर ठगी के पैसे को अपने एकाउंट में जमा कराता था और कोई कमीशन पर पैसा की निकासी करता था.

आज के समय में जामताड़ा को साइबर अपराध का हब कहा जाने लगा है. देशभर का 80 प्रतिशत साइबर क्राइम इसी जिले से होता है. साइबर क्राइम को अंजाम देते हुए यहां के अपराधी देश के विभिन्न शहरों से अब तक करोड़ों रुपये उड़ा चुके हैं. तमिलनाडु में 200 से अधिक पुलिसकर्मी भी इनके शिकार बन चुके हैं. इनकी पहुंच कश्मीर से कन्याकुमारी तक हो चुकी है. बड़े अपराधी छोटे साइबर अपराधियों को शरण देते हैं और उनसे अपना काम करवाते हैं.

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