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साहब की मेज पर अटके पड़े 51 आवेदन

जामताड़ा : मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. लेकिन यह योजना पदाधिकारियों की उदासीनता की भेंट चढ़ गया है. स्थिति यह है कि अब तक इस योजना का लाभ लेने के लिए आये 51 आवेदन प्रमाण पत्र के अभाव में टेबुल पर ही अटका पड़ा है. योजना का लाभ लेने के […]

जामताड़ा : मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है. लेकिन यह योजना पदाधिकारियों की उदासीनता की भेंट चढ़ गया है. स्थिति यह है कि अब तक इस योजना का लाभ लेने के लिए आये 51 आवेदन प्रमाण पत्र के अभाव में टेबुल पर ही अटका पड़ा है. योजना का लाभ लेने के लिए लाभुक के पास जाति,

आवासीय तथा आय प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है. प्रखंड के पदाधिकारी यह कह कर प्रमाण-पत्र नहीं बनाते हैं कि खतियान जरूरी है. कोई व्यक्ति चालीस से पचास वर्ष से एक ही जगह में रह रहे हैं. शादी के बाद ससुराल में ही बस गये हैं. उनके पास खतियान नहीं है. मां के नाम से रहने के बाद भी अंचल से प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जा रहा है.

पदाधिकारियों के अपने-अपने तर्क
पदाधिकारी का कहना है कि घर जमाई का प्रमाण पत्र बनाने का नियम नहीं है. अनेकों ऐसे लोग हैं, जिनकी अपनी कोई जमीन नहीं है. गोचर जमीन में घर बनाने के कारण भी लाभुक को योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है. कुंडहित प्रखंड के बाल विकास कार्यालय में भी ऐसे ही मामले सामने आये जिस कारण लक्ष्मी लाडली योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रमाण पत्र नहीं रहने के कारण सीडीपीओ ने लक्ष्य पूरा करने में असमर्थता जतायी. आखिर सरकार को इस समस्या को पहले ही ध्यान में रखकर ही कोई गाइडलाइन तैयार करनी थी. तभी योजना को धरातल पर उतारने की जरूरत थी. लोगों को जानकारी के अभाव में कभी अंचल कार्यालय, बाल विकास कार्याल्य तो कभी आंगनबाड़ी केंद्र की दौड़ लगानी पड़ती है.
सेविकाओं पर भी दबाव
लक्ष्मी लाडली योजना पूरी करने के लिए सेविकाओं पर भी काफी दबाव है. पर, प्रमाण पत्र नहीं बन पाने के कारण उन्हें भी लक्ष्य पूरा करने में परेशानी हो रही है. नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ सेविकाओं ने कहा कि बिना मतलब के उन्हें परेशान किया जाता है. किसी भी हाल में लाभुक दो नहीं तो तुम्हारा मानदेय बंद कर दिया जायेगा. जब लाभुक देते हैं तो प्रमाण-पत्र नहीं बनने के कारण लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा है. ऐसी परिस्थिति में सेविकाएं कहां से लाभुक लायें. वैसे लाभुक अनेकों वर्षों से गांव में रह रहे हैं. उनका हर सरकारी दस्तावेज में नाम है. प्रमाण है, इसके बाद भी उनका कोई प्रमाण-पत्र नहीं बन पा रहा. सेविकाओं ने यह भी कहा कि उन्हें भी कोई दिशा-निर्देश भी नहीं दिया जाता है कि कोई घर जमाई का सर्वे पंजी में नाम दर्ज न करें.
कहती है सीडीपीओ
प्रमाण-पत्र के बनने के कारण ही अनेकों लाभुकों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उनके कार्यालय में 51 आवेदन है जो प्रमाण-पत्र के अभाव में नहीं बन पा रहा है. गोचर जमीन पर घर बनाने का मामला है. घर जमाई का मामला है. सरकारी जमीन में घर बनाने का मामला है. इस पर अंचलाधिकारी से बात की जायेगी.
रेवा रानी, सीडीपीओ कुंडहित.

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