जामताड़ा : हल्की सी आग में अगर शरीर का कोई हिस्सा झुलस जाता है तो पूरे शरीर से दर्द की कराह निकल आती है. तो साेचिए, जिसका पूरा देह ही आग की झुलसन में तप रहा हो उस पर क्या गुजरती होगी. आग से झुलसे मरीजों को बचाने के लिए लाखों खर्च कर साल भर पहले ही बर्न यूनिट भवन बना दिया गया. लेकिन, इस बर्न यूनिट को चालू करने पर स्वास्थ्य विभाग ने कभी दिलचस्पी नहीं दिखायी. सदर अस्पताल में स्कीन व बर्न विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं हैं.
इसलिए मरीजों का सही से इलाज नहीं हो पाता. परिजन जब आग की जलन से कराहते मरीज को लेकर बर्न यूनिट पहुंचते हैं तो उनके शरीर पर पड़े फफोलों का दर्द और भी बढ़ जाता है जब उनका इलाज करने के बजाय उन्हें बाहर धनबाद, बोकारो या आसनसोल रेफर कर दिया जाता है. बर्न यूनिट रहने पर भी इलाज न होने के कारण कई बार रेफर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. लेकिन, बर्न यूनिट चालू कराने के लिए विभागीय अधिकारियों ने न गंभीरता दिखायी व जनप्रतिनिधियों ने भी न ही कभी आवाज उठायी. अगर बर्न वार्ड चालू होता तो शायद कई लोगों की समय रहते जान बच जाती या आगे भी बच सकती है. लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि विभाग अपनी इच्छाशक्ति दिखाये.