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फ्लैश बैक : जेपी लहर में भी राजा दुर्गा सिंह कांग्रेस से जीते थे

अजीत कुमार राजा दुर्गा प्रसाद ने सियासत समझी होती, तो कांग्रेस का टिकट आज भी राज परिवार में रहता जामताड़ा : जेपी आंदोलन ने 1977 में जब पूरे देश में कांग्रेस की नैया डुबो दी थी, ऐसे में जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की अलख जगाने का काम जामताड़ा राजघराने के राजा दुर्गा प्रसाद सिंह […]

अजीत कुमार

राजा दुर्गा प्रसाद ने सियासत समझी होती, तो कांग्रेस का टिकट आज भी राज परिवार में रहता

जामताड़ा : जेपी आंदोलन ने 1977 में जब पूरे देश में कांग्रेस की नैया डुबो दी थी, ऐसे में जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की अलख जगाने का काम जामताड़ा राजघराने के राजा दुर्गा प्रसाद सिंह ने किया था. लगातार दो बार उन्होंने कांग्रेस से जामताड़ा का प्रतिनिधित्व किया. आज भी राज परिवार की पुरानी हवेली इस इतिहास को संजोये हुए है. इससे पूर्व उनके बड़े भाई राजा काली प्रसाद सिंह ने जामताड़ा का प्रतिनिधित्व किया था.

यह बात 1960 की है, जब सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार राजा काली प्रसाद सिंह विधायक बने थे. इसके बाद यहां की राजनीतिक विरासत राजा दुर्गा प्रसाद सिंह ने संभाली, लेकिन 1980 के दशक में हो रहे राजनीतिक बदलाव को वे भांप नहीं सके. कांग्रेस में भी अंदरूनी खिचड़ी पकनी शुरू हो गयी थी और कई लोग अपनी गोटी बिठाने के जुगत में लगे थे. परिणाम हुआ कि कांग्रेस पार्टी से नाम की घोषणा होने के बाद भी पार्टी का सिंबल किसी बाहरी व्यक्ति (फुरकान अंसारी) को मिल गया.

पहली बार 1970 में कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे चुनाव : बहुमुखी प्रतिभा के धनी, मृदुभाषी और लोकप्रिय व्यक्तित्व के मालिक थे राजा दुर्गा प्रसाद सिंह. आम लोग उन्हें सम्मान और प्यार से दुर्गा बाबू कहते थे.

लोगों के दबाव पर 1970 में पहली बार वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. वह जमाना था, जब राजा परिवार से उनकी उम्मीदवारी की घोषणा होते ही आम लोग स्वत: उनके अभियान में जुट गये. तब जीप से वह प्रचार करते थे. जामताड़ा की जनता ने भी जिस भरोसे पर उन्हें मैदान में उतारा था, उस पर कायम रहे. इसके बाद 1977 में जेपी आंदोलन की हवा का रुख मोड़ते हुए वे दूसरी बार चुनाव जीते.

1980 के दशक में कांग्रेस से कटा था टिकट : कांग्रेस में अंदरूनी बदलाव आने लगा. बात 1980 की है, जब चुनाव की घोषणा हो चुकी थी और टिकट के लिए पार्टी की ओर से राजा दुर्गा प्रसाद सिंह का नाम तय था. अचानक कांग्रेस का टिकट उनके हाथ से निकल गया. जामताड़ा के बाहर के नेता फुरकान अंसारी को टिकट मिला. टिकट कटने के बाद राजा दुर्गा प्रसाद सिंह झामुमो से चुनावी मैदान में उतरे. उस चुनाव में वामपंथी नेता अरुण कुमार बोस को निर्वाचित हुए थे.

19 वर्ष से नहीं लड़े चुनाव

इसके बाद राज परिवार ने राजनीति से दूरी बना ली. लगभग 20 वर्ष बाद राजा दुर्गा प्रसाद सिंह के छोटे भाई राजा बास्की प्रसाद सिंह ने भाजपा से चुनाव लड़ा था, लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आया. राजा बास्की प्रसाद सिंह राज परिवार के आखिरी व्यक्ति थे, जो चुनाव में उतरे थे. लगभग 27 वर्षों तक फुरकान अंसारी ने जामताड़ा का प्रतिनिधित्व किया. 19 वर्ष बीत जाने के बाद भी राज परिवार से कोई भी व्यक्ति चुनावी मैदान में नहीं उतरा.

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