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खुद को टीटीइ बताने वाला धराया, गया जेल

पटना-एर्नाकुलम में बेटिकट कर रहा था सफर, पूछताछ में नहीं दिया संतोषजनक जवाब मिहिजाम : पटना से एर्नाकुलम जा रही डाउन पटना एर्नाकुलम ट्रेन से एक फर्जी ट्रेन टिकट कलेक्टर को गिरफ्तार किया है. ट्रेन के स्लीपर कोच के इंचार्ज ट्रेन टिकट एग्जामिनर ने उक्त टीटीइ को पकड़कर पहले चित्तरंजन रेलवे स्टेशन जीआरपी को सौंपा. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2015 7:38 AM
पटना-एर्नाकुलम में बेटिकट कर रहा था सफर, पूछताछ में नहीं दिया संतोषजनक जवाब
मिहिजाम : पटना से एर्नाकुलम जा रही डाउन पटना एर्नाकुलम ट्रेन से एक फर्जी ट्रेन टिकट कलेक्टर को गिरफ्तार किया है. ट्रेन के स्लीपर कोच के इंचार्ज ट्रेन टिकट एग्जामिनर ने उक्त टीटीइ को पकड़कर पहले चित्तरंजन रेलवे स्टेशन जीआरपी को सौंपा. जिसके बाद जीआरपी ने उसे आरपीएफ के हवाले कर दिया. आरपीएफ ने कार्रवाई करते हुए उसे मधुपुर जेल भेज दिया है.
रेल पुलिस के मुताबिक घटना गुरुवार देर शाम की है. पटना से एर्नाकुलम एक्सप्रेस ट्रेन में विदाउट टिकट सफर कर रहे ओडिशा के जाजपुर जिले में बड़ाचना चंपापुर निवासी मनोज कुमार सामल से जब कोच इंचार्ज ने टिकट दिखाने को कहा तो उसने टिकट नहीं दिखाया और खुद को आसनसोल रेल डिविजन के मेन स्टेशन का टीटी बताते हुए पहचान पत्र दिखाया.
पहचान पत्र देखने के बाद इंचार्ज ने उसे संबंधित विभाग की ओर से जानकारी मांगी. कई लोगों के मोबाइल नंबर व नाम पूछे जिससे मनोज बताने में असमर्थ रहा. जिसके बाद फर्जीवाड़ा सामने आया. जबकि पकड़े गये मनोज ने पुलिस को बताया कि वह फर्जी नहीं है बल्कि उसके पास पे स्लीप भी है. उसने कई बार वेतन भी लिया है. अगस्त 2015 को उसकी नियुक्ति हुई है. लेकिन मनोज न तो अपने विभाग के बारे में बता पा रहा है और न ही उस विभाग में उसे कोई पहचानता है.
कहीं फर्जी नौकरी का तो मामला नहीं
ऐसे में समझा जा रहा है कि मनोज नौकरी दिलाने वाले गिरोह की ठगी का शिकार तो नहीं है. अब तक रेलवे में ऐसे गिरोह ने रेलकर्मियों व अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसी सेटिंग्स कर रखी है कि गिरोह के चंगुल में फंसे बेरोजगारों को यह पता भी नहीं चलता है कि क्या असली है और क्या नकली. इससे पूर्व भी एक गिरोह ने कई युवकों को झांसे में फंसा कर आसनसोल डीआरएफ कार्यालय में नियुक्ति करायी. जहां कई युवकों ने छह माह तक नौकरी की.
पगार भी लिये. पे स्लीप भी मिला. जब रेलवे पास लेने की बारी आयी तब फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. आज भी चित्तरंजन धनबाद, आसनसोल, कोलकाता आदि रेलवे में गिरोह सक्रिय है.

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