रूह को छूती हैं गजलें : मृणालिनी

जामताड़ा : गुमला में जन्मी और पटना में पली-बढ़ी मृणालिनी संगीत की दुनिया में कोई परिचय की मुहताज नहीं है. पांच वर्ष की उम्र से संगीत के प्रति लगाव रखने वाली मृणालिनी गजल गायिकी में एक मुकाम पर हैं. गजल गायक जगजीत सिंह और गुलाम अली को अपना आदर्श मानती हैं. जगजीत सिंह की गजल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2016 6:33 AM

जामताड़ा : गुमला में जन्मी और पटना में पली-बढ़ी मृणालिनी संगीत की दुनिया में कोई परिचय की मुहताज नहीं है. पांच वर्ष की उम्र से संगीत के प्रति लगाव रखने वाली मृणालिनी गजल गायिकी में एक मुकाम पर हैं. गजल गायक जगजीत सिंह और गुलाम अली को अपना आदर्श मानती हैं. जगजीत सिंह की गजल होठो से छू लो तुम… से अपनी बात शुरू करती हुई मृणालिनी कहती है कि सारे संगीत को जोड़कर गजल बनती है. गजल का लगाव आत्मा से है.

जरूरी नहीं है कि गजल सुनने वाले कितने लोग है. लेकिन जो दिल से सुने, गजल गायक उसी में प्रसन्न रहते हैं. वह कहती हैं कि पहले के गीत व संगीत कोई न कोई राग आधारित होती थी. जो दिल और मन को अच्छा लगता था. आज का म्यूजिक डांस तक सीमित है. फूहड़ गानों का प्रचलन हो गया है. देश में कहीं भी असहिष्णुता नहीं है. सिर्फ पब्लिसिटी कमाने का माध्यम हो गया है. मीडिया में सस्ती लोकप्रियता कमाने के लिए ये सब बातें फैलायी जा रही है.

घर से मिली प्रेरणा : मृणालिनी कहती हैं कि गीत-संगीत के प्रति लगाव नानाजी से मिली. नाना जी विद्यानंद सहाय दूरदर्शन पर कार्यक्रम प्रस्तुत करते थे. मेरी मां, मौसी सभी को गीत-संगीत से लगाव था. इसके कारण घर में संगीत का माहौल था.

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