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चोरी छिपे अब भी कोयला खनन जारी!

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By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2016 4:52 AM

ये कैसी कार्रवाई . नाला के अवैध उत्खनन गड्ढों का रुक-रुक हो रही है डोजरिंग

जामताड़ा : नाला में इसीएल के बंद खदानों को फिर भरा गया. लेकिन प्रशासन व इसीएल द्वारा रुक रुक कर हो रही इस कार्रवाई से सेफ पैसेज किसे मिल रहा है यह आम लोगों में सवाल उठने लगे हैं. नाला से अरबों रुपये का कोयला अब तक अवैध खनन द्वारा निकाला जा चुका. जामताड़ा के कई माफिया करोड़ों कमा कर लाल हो चुके. करोड़ों के राजस्व की क्षति हुई. लेकिन इस अवैध खनन का स्थायी समाधान अब तक नहीं किया जा सका.
बता दें कि जब प्रशासन को खबर मिलती है कि नाला के बंद खदानों से फिर अवैध उत्खनन शुरू हो गया है तब नाला पुलिस दो चार पुलिस बल लेकर इसीएल के सुरक्षा पदाधिकारी के साथ अवैध कोयला खदानों को भरना शुरू कर देते हैं. एक दिन कार्रवाई कर महीनों शांत रहते हैं. इसी टाइम गैप का फायदा माफिया उठाते हैं. और खाकी व खादी को बंधी बंधाई राशि देकर अपना अवैध धंधा शुरू कर देते हैं. लेकिन प्रशासन द्वारा इसका स्थायी समाधान नहीं करने पर लाेगों के जेहन में कई सवाल उठने लगे हैं.
समय के साथ बढ़ गये गड्ढे
नाला क्षेत्र में इसीएल के बंद खदानों में हजारों कूप बनाया गया है, जो बीच-बीच में खुदाई कर गड्ढे को और गहरा करता जाता है. समय-समय पर माफिया भी इस अवैध धंधें में संलिप्त होकर गड्ढों की संख्या को बढ़ायी है. अवैध उत्खनन के कूप को जिला प्रशासन ने इसीएल प्रबंधन को कई बार जल्द से जल्द भरने का निर्देश दिया था. एक बार भरा भी गया लेकिन महीनों शांत रहे. मंगलवार को फिर डोजरिंग किया गया जो सवालों के घेरे में है.
मई माह में भी भरे गये थे गड्ढे
वन विभाग ने मई माह में नाला क्षेत्र के खड़ीमाटी, छोटारामपुर,पलास्थली तथा कास्ता में अभियान चलाकर पचास गड्ढों का डोजरिंग कर भरा था.
वन विभाग के मुताबिक
वन विभाग के मुताबिक नाला क्षेत्र में कोई अच्छी क्वालिटी का कोयला मौजूद नहीं है. फिर भी मजदूर कुछ पैसे के लिए उन गड्ढों में जाकर कोयले का उत्खनन करते हैं, जिससे कई गांव के मजदूरों की जान भी पहले जा चुकी है. दोबारा जिला प्रशासन एवं इसीएल प्रबंधन द्वारा नाला क्षेत्र के कास्ता, पलास्थली तथा जोरकोड़ी में कुछ गड्ढों का डोजरिंग कर भरा गया.
प्रशासन से तेज माफिया
काेयला के अवैध धंधे में जामताड़ा व आसपास के माफिया का दिमाग प्रशासन से ज्यादा तेज चलता है. स्थानीय लोगों की मानें तो इस अवैध उत्खनन में माफिया के साथ पुलिस की मिलीभगत है. जिसके कारण ही गड्ढों की संख्या में इजाफा हुआ है. सूत्रों की मानें तो अभी भी हजारों की संख्या में गड्ढे मौजूद है. जहां समय-समय पर उत्खनन चलते रहता है.
क्या कहते हैं डीसी
डीसी रमेश कुमार दूबे ने कहा कि इसीएल प्रबंधन को सख्त निर्देश दिया गया है कि एक ही बार जेसीबी मशीनों की संख्या बढ़ाकर डोजरिंग का कम पूरा करें. प्रशासन के निर्देश के बाद अधिकारी एवं पुलिस के भी अधिकारी पहुंचते हैं, लेकिन इसीएल प्रबंधन बात को सीरीयसली नहीं लेते हैं. एक दो मशीन ही जुगाड़ कर पाता है प्रबंधन, जिसके कारण ही गड्ढों को भरने में समय लग जाता है. लेकिन इस बार ईसीएल को ज्यादा मशीनों का जुगाड़ करने का निर्देश दिया गया है.

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