अधिवक्ता संघ ने प्रस्तावित बिल का किया विरोध
जामताड़ा : अधिवक्ता अधिनियम 1961 में संशोधन के विरोध में जामताड़ा जिला अधिवक्ता संघ ने शुक्रवार को बैठक कर प्रस्तावित बिल का घोर विरोध किया. साथ ही प्रस्तावित बिल के विरोध में नारे भी लगाये गये. अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गणेश चंद्र चौधरी ने कहा कि प्रस्तावित बिल में अधिवक्ता अधिनियम 1961 के स्वरूप को […]
जामताड़ा : अधिवक्ता अधिनियम 1961 में संशोधन के विरोध में जामताड़ा जिला अधिवक्ता संघ ने शुक्रवार को बैठक कर प्रस्तावित बिल का घोर विरोध किया. साथ ही प्रस्तावित बिल के विरोध में नारे भी लगाये गये. अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष गणेश चंद्र चौधरी ने कहा कि प्रस्तावित बिल में अधिवक्ता अधिनियम 1961 के स्वरूप को बिल्कुल बदल दिया गया है. जो आने वाले समय में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की स्वायत्ता को समाप्त कर दिया जायेगा. कहा कि प्रस्तावित बिल को भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार का हनन किया गया है.
यह प्रस्ताविक बिल एक काला कानून है. जिससे ब्रिटिश सम्राज्यवादी की बू आती है. क्योंकि अधिवक्ता के अधिकार एव स्वतंत्रता को एक छीनने का बिल है. सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया गया कि बार एसोसिएशन जामताड़ा प्रस्तावित बिल का विरोध करती है. प्रस्तावित बिल की कॉपी को सिविल कोर्ट के प्रांगण में दहन करती है. यह भी निर्णय लिया कि जब तक प्रस्तावित बिल को वापस नहीं लिया जायेगा तब पूरे देश में ये संघर्ष जारी रहेगा. प्रस्तावित बिल के विरोध के प्रस्ताव को जिला अधिवक्ता संघ के द्वारा बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं स्टेट बार काउंसिल ऑफ झारखंड को कॉपी भेज जायेगा.
क्या हैं प्रस्तावित बिल
काम में लापरवाही करने, अनुशासन तोड़ने पर वकीलों पर कार्रवाई होगी. वकीलों को उपभोक्ता आयोग द्वारा तय नियमों को मुताबिक हर्जाना देना होगा. जज या कोई भी न्यायिक पदाधिकारी लापरवाही व अनुशासनहीनता पर वकील का लाइसेंस रदद कर सकता है.
हड़ताल करने पर कार्रवाई या जुर्माना हो सकता है. राज्य बार काउंसिल के आधे से ज्यादा सदस्य उच्च न्यायालय द्वारा नामित किये जायेंगे. इन सदस्यों में डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी होंगे. बीसीआइ के सदस्य के लिए कोई चुनाव नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश, केंद्र निगरानी आयुक्त, सीए के अपीलीय पदाधिकारी के द्वारा बीसीआइ के अधिक से अधिक सदस्य नामित किये जायेंगे.