आंध्र में फंसे दो मजदूर मुक्त, दो अब भी बंधक

नारायणपुर से मानव तस्करी का सच आया सामने जामताड़ा : आंध्रप्रदेश में बंधक बने नारायणपुर के कानाडीह का एक मजदूर अपने घर वापस लौट आया है. वहीं एक और घर पहुंचने वाला है. घर पहुंचे दिनेश टुडू ने कहा कि उनलोगों को बंधक बना कर रखा गया था. किसी तरह भाग कर वे घर पहुंचे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2017 4:52 AM

नारायणपुर से मानव तस्करी का सच आया सामने

जामताड़ा : आंध्रप्रदेश में बंधक बने नारायणपुर के कानाडीह का एक मजदूर अपने घर वापस लौट आया है. वहीं एक और घर पहुंचने वाला है. घर पहुंचे दिनेश टुडू ने कहा कि उनलोगों को बंधक बना कर रखा गया था. किसी तरह भाग कर वे घर पहुंचे हैं. एक अन्य मजदूर शिव छतन अभी रास्ते में. इसके घर में जश्न की तैयारी हो रही है. परिजन पलकें बिछाये बैठे हैं. इसी महीने दिनेश की बहन की शादी है. इसको लेकर दोहरी खुशी घर पहुंची है. दिनेश की मां मंगोली सोरेन ने बताया कि उनका बेटा घर लौट आया है, अब बेटी की शादी भी अब धूमधाम के साथ होगी. वहीं इसी गांव के शिव छतन कड़प्पा से लौट तो गया है,
लेकिन अभी तक अपने घर नहीं पहुंचा है. वह रास्ते में है. पिता ठुरू हेंब्रम ने कहा कि उनका बेटा धनबाद में दोस्त के घर ठहरा है. बेटे की आने की खुशी में ठुरू हेंब्रम और उनके परिवार के लोगों में भी खुशी का माहौल है.
भाग कर पहुंचा स्टेशन : शिव के पिता ठुरू हेंब्रम ने कहा कि शिव से बात हुई है. उसने बताया है कि जहां उन्हें बंधक बना कर रखा गया था वहां से भाग कर आंध्रप्रदेश के कड़प्पा स्टेशन पहुंचा. 50 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा. तीन दिनों तक जंगल-जंगल होते हुए कड़प्पा स्टेशन तक पहुंचा. ठेकेदार के गुर्गे स्टेशन तक उन्हें ढूंढते-ढूंढते पहुंच गये थे. गुर्गों से छिपते छिपाये दो दिन तक स्टेशन पर ही समय बिताया. दूसरे दिन चेन्नई जानेवाली ट्रेन पर सवार हो सका.
14 मजदूरों को 50 हजार में खरीदा था : ग्रामीणाें के अनुसार, कानाडीह के खीरू राय काम दिलाने के लिए गांव से 14 मजदूरों को ले गया था.
आंध्र में फंसे…
खीरू राय ने बताया कि मार्च माह के प्रथम सप्ताह में उनके घर पर कैलाश महतो नाम का एक ठेकेदार आया था. कुछ मजदूरों को ले जाने के लिए उन्हें पचास हजार अग्रिम के रूप में दी थी. उसने मजदूरों को जमा किया और 50 हजार की रकम को आपस में बांट लिया था. कहा : एक गलती उनलोगों से हुई कि ठेकेदार का पूरा पता नहीं लिया था. वहां मजदूरों को पीटा जाता था. पेज पांच भी देखें

Next Article

Exit mobile version