फतेहपुर. बाघमारा गांव में चौबीस प्रहर अखंड हरिनाम संकीर्तन का आयोजन उद्धव चंद्र महता की ओर से किया गया. हरिनाम संकीर्तन से बामनबांधी, बेजबिंधा, केंदुआटांड़, आसना, बांदरनाचा, जोरडीहा आदि क्षेत्र में भक्तिरस का प्रवाह हो रहा है. गुरुवार की रात बंगाल पंचगछिया, आसनसोल के कीर्तनिया अंजन उपाध्याय ने हरिनाम एवं राधा रानी के दूर्जोय मान प्रसंग का मधुर वर्णन किया. लीला का वर्णन व नृत्य-गीत प्रस्तुत कर देर रात तक श्रोता भक्तों को झुमाये रखा. उन्होंने कहा कि राधा कौन है ? ईश्वर के प्रेम का सार भावना है, भाव है और भावना का अंतिम विकास महाभाव है. राधारानी महाभाव के अवतार हैं. नित्य मुक्त हैं हरि. हरिनाम में कोई अंतर नहीं है, जो कृष्ण हैं वही कृष्ण नाम है. शास्त्रों एवं चैतन्य महाप्रभु के अनुसार कलियुग में हरे कृष्ण महामंत्र बताया गया है. इस महामंत्र का संकीर्तन करने मात्र से प्राणी मुक्ति के अधिकारी बन सकते हैं. कलियुग में भगवान के प्राप्ति का सबसे सरल किंतु प्रबल साधन उनका नाम-जप ही बताया गया है. कलियुग में तो स्वयं कृष्ण ही हरिनाम के रूप में अवतार लेते हैं. केवल हरिनाम से ही सारे जगत का उद्धार संभव है. सुमधुर भजन भी प्रस्तुत किया गया.
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