फतेहपुर. सरमुंडी गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक गिरिधारी लाल गोस्वामी महाराज ने कहा कि भागवत विषय ज्ञान प्राप्त करने के अधिकारी है. इसका श्रवण मात्र से ही वैराग्य व आत्ममुक्ति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे मन में भाव तभी आएंगे जब हमारी इच्छा शक्ति इस प्रकार प्रबल हो जो श्रीमद्भागवत कथा राजा परीक्षित ने तब सुना जब उनके पास समय कम बचा था. वह जब भागवत सुनने गए तो सभी गृह जंजाल राज पाट छोड़ कर पहुंचे. सभी दायित्व आत्म कुटुंब तीन पुत्रों पत्नी सब कुछ छोड़ कर गए. मात्र एक वस्त्र धारण कर गए. भागवत मनुष्य को त्याग सिखाता है वैराग्य सिखाता है भोग नहीं. यह त्याग का शास्त्र है. भोग की प्रवृत्ति से भगवान के भजन की ओर प्रवृत्ति जागृत नहीं हो पाती है. इसलिए सुकदेव जैसे त्यागी वक्ता व परीक्षित जैसा सर्वस्व त्यागी श्रोता भागवत के लिए होना चाहिए. इसलिए कहा गया है वक्ता स्रोता च दुर्लभः. आज के सांसारिक सुखों व मोह से हम बाहर नहीं आ पाते इसलिए भागवत श्रवण के बाद भी उतना लाभ नहीं मिल पाता है. कथा के दौरान भगवान के विभिन्न रूपों का व्याख्यान व उसके प्रयोजन के बारे में बताया. भागवत कथा के बीच में भजन प्रस्तुत व झांकी दर्शन से उपस्थित श्रोता मंत्रमुग्ध हुए. कथा का आयोजन सरमुंडी ग्राम के प्रफुल्ल मंडल ने किया है. जिसे सुनने के लिए सरमुंडी के आसपास दर्जनों गांवों के भागवत श्रोता पहुंच रहे हैं.
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