अखंड हरिनाम संकीर्तन कुंजविलास एवं नर नारायण सेवा के साथ संपन्न
जोरकुड़ी गांव में आयोजित चौबीस प्रहर अखंड हरिनाम संकीर्तन मंगलवार को कुंजविलास व नर नारायण सेवा के साथ संपन्न हुआ.
नाला. प्रखंड के जोरकुड़ी गांव में आयोजित चौबीस प्रहर अखंड हरिनाम संकीर्तन मंगलवार को कुंजविलास व नर नारायण सेवा के साथ संपन्न हुआ. इस धार्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिन बीरभूम के प्रसिद्ध कीर्तन शिल्पी वंदना दास ने भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी के वृंदावन लीला आधारित कुंजविलास लीला पदावलियों में रचित पद का वर्णन कर श्रोता भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कीर्तनिया ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जीव जगत को शिक्षा देने, सदमार्ग पर चलकर सांसारिक जीवन व्यतीत करने के साथ-साथ त्रिताप ज्वाला से मुक्त करने के लिए ये लीलाएं की. कहा कि गौरांग महाप्रभु एवं कृष्ण भगवान के द्वारा जीव जगत के लिए बताए गए मूल्यवान उपदेश, कलियुग में मानव मुक्ति का एकमात्र उपाय हरिनाम संकीर्तन है. महाप्रभु ने जाति धर्म से ऊपर उठकर संपूर्ण समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए प्रेम एवं भक्ति के माध्यम से बांधने का प्रयास किया. उस समय सामाजिक जात पात की विषमता चरम पर थी, जिसे दूर करने के लिए वह अहिंसा के माध्यम से हरिनाम संकीर्तन का सहारा लिया. इस कलियुग के मनुष्य का कर्तव्य है कि उसका अनुसरण कर सामाजिक विषमता को दूर करे. धार्मिक अनुष्ठान के अंत में खिचड़ी महाप्रसाद का वितरण किया गया. चार दिनों तक जगन्नाथपुर, केचाकुड़ी, शहरपुर, कालीपाथर, सुंदरपुर, मोहजोड़ी, खामार, हदलबांक सहित आसपास गांव का वातावरण भक्तिमय बना रहा.
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