जामताड़ा : कोविड-19 वैश्विक महामारी में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका सबसे अहम और महत्वपूर्ण है. लेकिन विभाग की ओर से हीं लापरवाही और मनमानी की जाने लगे तो व्यवस्था पर सवाल उठना लाजमी बन जाता है. ऐसा ही वाक्य रविवार देर रात से शुरू हुआ जिसका अंत प्रशासनिक पदाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद सोमवार को समाप्त हुआ. विभाग के एक महत्वपूर्ण विंग का एक कर्मी कोरोना से संक्रमित होता और एक जिला स्तरीय एनएचम पदाधिकारी उसे छिपाने का न केवल प्रयास करती है बल्कि अपने पद के बल पर एंबुलेंस को लौटाकर जबरन होम आइसोलेट करवाने का प्रयास किया. लेकिन इस दौरान अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है, जो अपने आप में एक सवाल है. जबकि रात में हीं डीसी को इस संदर्भ में सूचना दी जा चुकी थी.
लगभग पौन घंटा तक एंबुलेंस चालक करता रहा इंतजार, अंत में मिली पदाधिकारी की फटकार बिना मरीज लिए हुआ वापस: मामला है स्वास्थ्य विभाग के एक संवेदनशील विभाग कोल्ड चेन का. जहां बच्चों को दिए जाने वाले वैक्सीन को संरक्षित रखा जाता है. वहां के एक कर्मी रविवार को संक्रमित पाए गए. देर शाम उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. उसके बाद उन्हें कोविड-19 अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस रविवार की रात लगभग 9.30 बजे भेजा गया. किराए के मकान में रह रहे उक्त कर्मी ने कोविड-19 अस्पताल जाने से इंकार कर दिया. उनके बचाव में स्वास्थ्य विभाग की जिला स्तरीय एनएचम की पदाधिकारी सामने आ गई.
लगभग 45 मिनट तक एंबुलेंस चालक इंतजार करता रहा. लेकिन वह घर से बाहर नहीं निकला. यहां तक कि उस मकान की लगभग 80 वर्षीय बुजुर्ग मालकिन ने भी खिड़की से आवाज लगाकर संक्रमित मरीज को लेजाने की आबाज लगाई. अंत में उक्त महिला पदाधिकारी ने नीचे उतरकर चालक को फटकार लगाई और एंबुलेंस को कोविड-19 अस्पताल वापस भेज दिया. घर में बुजुर्ग के होने के लिहाज से भी संक्रमित मरीज को कोविड-19 अस्पताल में आइसोलेट किया जाना लाजमी था.
व्यवसायी ने होम आइसोलेशन के प्रोटोकॉल का नहीं किया निर्वहन तो रात में परिवार के सभी संक्रमितों को किया था कोविड अस्पताल में शिफ्ट: बता दें कि 2 दिन पूर्व एक कपड़ा व्यवसाई के परिवार के 10 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे. घर में सभी प्रकार की व्यवस्था होने पर उन्हें होम आइसोलेट की परमिशन जिला प्रशासन की ओर से दी गई थी. लेकिन होम आइसोलेशन के दौरान उनके परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा घर में हीं स्थित दुकान का शटर खोल कर रखा गया था और दुकानदारी करने की बात सामने आई थी. जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन ने आनन-फानन में एक्शन लिया और रात 10:00 बजे उनके घर को सील कर सभी मरीजों को कोविड अस्पताल में शिफ्ट किया गया था.
अब सवाल यह उठता है कि जब एक आम नागरिक कोविड-19 एक्ट का उल्लंघन करता है तो तत्काल उस पर कार्रवाई होती है. लेकिन जिस विभाग पर सबसे बड़ी जिम्मेवारी है उस विभाग के कर्मी और पदाधिकारी अपनी जिम्मेवारी निर्वहन नहीं करते हैं उस पर जिला प्रशासन और विभाग अब तक चुप्पी लगाए क्यों बैठे हैं. बता दें कि व्यवसायी के घर से महज 100 मीटर की दूरी पर हीं स्वास्थ्य विभाग का संक्रमित मरीज रहता है.
एनएचएम पदाधिकारी का आरोप प्रत्यारोप सोशल मीडिया पर भी हुआ था वायरल: जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के एक व्हाट्सएप ग्रुप में इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम द्वारा जिला महामारी पदाधिकारी पर आरोप-प्रत्यारोप किए गए. और उसमें उन्होंने उक्त संक्रमित मरीज की जिम्मेवारी लेने की बात भी लिखी थी. सोशल मीडिया पर हुए आरोप-प्रत्यारोप का स्क्रीनशॉट जिला प्रशासन की ओर से कोविड-19 को लेकर बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप जिसमें मीडिया कर्मी भी शामिल है उसमें वायरल किया गया.
हालांकि कुछ देर बाद हीं उस मैसेज को डिलीट कर दिया गया. जिसमें डीपीएम द्वारा जिनके कहने पर होम आइसोलेशन की बात लिखी गई थी. उक्त संबंधित चिकित्सक से बात करने पर उन्होंने इस प्रकार के कोई भी आश्वासन या कंसेंट दिए जाने से इंकार कर दिया. उक्त वायरल कन्वर्सेशन का फोटो जिला के तमाम वरीय पदाधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग से जुड़े पदाधिकारी व कर्मी ने देखा. लेकिन अब तक इस दिशा में किसी प्रकार की कोई प्रशासनिक पहल नहीं की गई है.
क्या कहते हैं डीसी : स्वास्थ विभाग का संक्रमित कर्मी कोविड-19 अस्पताल में आज आइसोलेट हो चुका है. लेकिन जिस तरीके की जानकारी मिली है, इस पूरे मामले की जांच करवाकर जिनकी ओर से लापरवाही हुई है उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. फैज अक अहमद मुमताज, डीसी जामताड़ा
Post by : Pritish Sahay