कोविड-19 डेडिकेटेड अस्पताल में संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य के साथ लगातार खिलवाड़ हो रहा है. और यह खिलवाड़ इलाज के मामले में नहीं भोजन के मामले को लेकर है. कोविड-19 डेडिकेटेड अस्पताल उदलबनी में संक्रमित मरीजों के भोजन को लेकर पिछले एक सप्ताह से विवाद चल रहा है. एक सप्ताह में तीन बार भोजन सप्लाई करने वाले एजेंसी को बदला गया. हर बदलाव में कोई न कोई नया बखेड़ा खड़ा हो गया है.
इस बार दुलाडीह स्थित आवासीय विद्यालय के कैंटीन को कोविड-19 अस्पताल में भोजन सप्लाई की जिम्मेवारी दी गई थी. पहले ही दिन कोविड-19 अस्पताल में जो भोजन पहुंचाया गया उस चावल में कीड़े निकले हैं. उसके बाद से संक्रमित मरीजों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और किसी ने भी भोजन नहीं किया है. दोपहर में सभी संक्रमित मरीजों के लिए चावल दाल की व्यवस्था की गई थी. बावजूद जिला प्रशासन इसे गंभीर नहीं मान मान रही है.
बता दें कि जब से कोविड-19 डेडिकेटेड अस्पताल का संचालन प्रारंभ हुआ जेके स्वीट्स की ओर से संक्रमित मरीजों और वहां प्रतिनियुक्त चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भोजन की सप्लाई दी जाती थी. जानकारी के अनुसार जेके स्वीट्स को 168 रुपए प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से भुगतान किया जाता था.
लगभग साढ़े 4 माह तक जेके स्वीट्स की ओर से भोजन की सप्लाई दी गई. अचानक प्रति मरीज को भोजन देने का रेट सरकार की ओर से पुनः निर्धारित किया गया जिसमें 100 रेट दिया गया था. उसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने यह जिम्मेवारी जेएसएलपीएस के सखि मंडल को दिया था. उनके द्वारा जो कोविड-19 अस्पताल में भोजन दिया गया उसके मात्रा और गुणवत्ता इतनी खराब थी कि संक्रमित मरीजों ने तो खाना नहीं खाया यहां तक कि चिकित्सकों ने भी खाना फेंक दिया था.
मामला प्रकाश में आने के बाद तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए डीसी के निर्देश पर सिविल सर्जन द्वारा पुन: जेके स्वीट्स को हीं 100 रुपए प्रति दिन प्रति मरीज के दर से भोजन उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. आदेश मिलते ही जेके स्वीट्स ने पुनः भोजन की सप्लाई शुरू कर दी. 2 दिन मामला ठीक रहा उसके बाद आनन-फानन में जिला प्रशासन की मैराथन बैठक हुई.
डीडीसी की अध्यक्षता में प्रशासनिक पदाधिकारी एवं स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की लंबी बैठक के बाद व्यवस्था सुधारने पर जोर दिया गया. डीडीसी के निर्देश पर आवासीय विद्यालय दुलाडीह के कैंटीन संचालक को कोविड-19 अस्पताल में भोजन उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया.
इस संदर्भ में डीडीसी नमन प्रियेश लकड़ा का कहना है कि आवासीय विद्यालय लंबे समय से बंद है और उसके रसोईया को वेतन दिया जा रहा है. तो ऐसे में उन्हीं को भोजन सप्लाई करने की जिम्मेवारी दी गई है. क्योंकि पहला दिन था तो हो सकता है पुराना स्टॉक का चावल दे दिया हो या सप्लायर ने गलत चावल दिया हो. पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि सप्लायर के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
क्योंकि नया आदेश जिला प्रशासन की ओर से दिया गया है, इस बार भोजन की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के जिम्मे नहीं है. जो कुछ कहना होगा इस मामले पर डीडीसी या डीसी हीं कहेंगे. डॉ आशा एक्का, सिविल सर्जन जामताड़ा
– पहला दिन था यह कोई बहुत बड़ा इश्यू नहीं है. सारे पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है, मेनू चार्ट भी बना दिया गया है. सभी लोग इसकी मॉनिटरिंग करेंगे. हम लोग व्यवस्था सुधारने पर लगातार ध्यान दे रहे हैं. नमन प्रियेश लकड़ा, डीडीसी जामताड़ा
posted by : sameer oraon