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डोभा का पानी पीने को विवश हैं मिर्गीजुरिया गांव के लोग

डोभा से पानी निकालतीं महिलाएं

बिंदापाथर. नाला प्रखंड अंतर्गत गेड़िया पंचायत के मिर्गीजुरिया आदिवासी बाहुल्य गांव के लोग डोभा का पानी पीने को विवश हैं. मालूम हो कि मिर्गीजुरिया गांव जामताड़ा-नाला भाया गेड़िया मुख्य सड़क के किनारे स्थित है, पर यहां पेयजल की किल्लत है. ऐसा नहीं है कि यहां की स्थिति जिले के आला अधिकारियों को पता नहीं है कि मिर्गीजुरिया के लोग डोभा का पानी पीते हैं, फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है. मिर्गीजुरिया की आबादी करीब चार सौ है. वैसे तो गांव में पांच चापाकल है, जिसमें एक पूर्णत: खराब है. बाकी चापाकलों से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं निकलता है, जिसमें पानी निकलता है वह पीने योग्य नहीं है. क्योंकि आर्सेनिक का भाग ज्यादा है, मजबूरी में लोग डोभा का पानी पीते हैं. ग्रामीण दयानंद मरांडी, सदानंद मरांडी, बैद्यनाथ हांसदा, हेनोधन मुर्मू, अंतिम मुर्मू, माकू मुर्मू आदि ने बताया कि हम लोग खेत में बने डोभा से ही पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं. कहा कि पिछले वर्ष भी अखबारों में प्रमुखता के साथ खबर छपने पर तत्काल चापाकल मरम्मत कर दिया जाता है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं हुआ है.

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