कुंडहित. मानसून में हो रही देरी से प्रखंड क्षेत्र के किसान चिंतित हैं. खेतों में डाले गए बीज सही ढंग से निकल नहीं पा रहे हैं और जो बिचड़े निकल गए हैं वह मुरझा कर सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों से मानसून के बेरुखी से क्षेत्र में सही ढंग से खेती नहीं हो पायी है. हालांकि इस बार लोगों को अनुमान था कि समय से मानसून आएगा और अच्छी खेती होगी. शुरुआती लक्षण दिखने के बावजूद क्षेत्र में बारिश नहीं हो पाई है जिस वजह से खेतों में डाले गए बीजों का निकलना मुश्किल हो गया है. बंगाल की सीमावर्ती कुंडहित के लोगों का मुख्य रोजगार खेती है. सही ढंग से खेती नहीं होने के कारण क्षेत्र के लोग भारी आर्थिक मुसीबत से दो चार होने लगते हैं. वहीं क्षेत्र में सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से पूरी की पूरी खेती मानसून के दया पर ही निर्भर है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान में बारिश होने की तिथि हर अगले दिन बढ़ते चला जा रहा है जिसके साथ ही किसानों की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. फिलहाल मानसून की बेरुखी के मद्देनजर कृषि विभाग क्षेत्र के किसानों को मोटे अनाज की खेती करने की सलाह दे रहा है. हालांकि अभी भी क्षेत्र के किसान बारिश के इंतजार में है, ताकि साल में एक बार होने वाली धान की खेती अच्छे ढंग से सके. आजादी के सात दशक बाद भी क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए कोई वैकल्पिक साधन उपलब्ध नहीं हो पाया है. सिंचाई के नाम पर पिछले 45 वर्षों से एक नहर बनाया जा रहा था, जिसमें अरबों रुपये पानी की तरह खर्च किया गया. क्षेत्र के किसान को उम्मीद थी की क्षेत्र में खरीफ एवं रबी फसल उत्पादन में सहयोग होगा. नहर बनकर तैयार तो हो गया है, लेकिन नहर से पानी अभी भी काफी दूर है. नहर में पानी कब तक आयेगा इसका सही जवाब कोई नहीं दे पा रहा है.
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