नाला विधानसभा क्षेत्र में होगा रोमांचक मुकाबला

एक-दूसरों को मात देने में जुटे प्रत्याशी, इस बार भी जातीय समीकरण होगा हावी

By Prabhat Khabar News Desk | November 10, 2024 10:49 PM

बिंदापाथर. नाला विधानसभा सीट में इस बार लोगों को रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा. झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो की सीट होने के कारण यह सीट हॉट सीट के रूप में है. हमेशा जातीय समीकरण इस सीट पर हावी होता है. 1957 में नाला विधानसभा सीट बनने के बाद 1962 में पहली बार एकल विधायक सीट बना है. तीन ओर से बंगाल सीमा से सटे होने के कारण यहां बांग्लाभाषी लोग रहते हैं. निकटवर्ती राज्य बंगाल की राजनीति का असर देखने को मिलता है. इसी कारण इस सीट से नौ बार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डॉ विश्वेश्वर खां विधायक बने थे. 1962 से लगातार सात बार विधायक बनने के बाद पहली बार 1990 में डॉ विश्वेश्वर खां को कांग्रेस के राजकुमारी हिम्मत सिंहका ने पराजित किया था. पुनः 1995 एवं 2000 में डॉ विश्वेश्वर खां विधायक बने. झारखंड राज्य बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव 2005 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के रविंद्रनाथ महतो महज 1122 मत से भाजपा के सत्यानंद झा को पराजित कर पहली बार विधायक बने थे, पर 2009 में भाजपा का सत्यानंद झा से 3948 वोटों के अंतर से हार गये थे. 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सत्यानंद झा को 7015 वोटों के अंतर से हराया था और दूसरी बार विधायक बने. 2019 के विधानसभा चुनाव में वे भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सत्यानंद झा को 3520 वोटों के अंतर से हराकर तीसरी बार विधायक निर्वाचित हुए. इस तरह से देखा जाये तो 1962 से 14 विधानसभा चुनाव में 12 बार एक ही जाति के विधायक बने हैं. जातीय समीकरण को भांपते हुए भाजपा ने भी इस बार महतो (यादव) जाति के उम्मीदवार को ही टिकट दिया है. देखने की बात दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा का दांव सही साबित होता है या नहीं. इधर, जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का दिन नजदीक आता जा रहा है. मुख्य मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी व झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है. प्रत्याशी एक-दूसर के कार्यकर्ता को तोड़ने का दावा कर रहे हैं. पट्टा पहनाकर अपनी पार्टी में शामिल कर रहे हैं. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर फोटो शेयर कर माहौल बनाने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कन्हाई चंद्र माल पहाड़िया नाला सीट से त्रिकोणीय मुकाबला करने की प्रयास कर रहे हैं. करीब सवा दो लाख मतदाता वाले नाला विधानसभा में यादव मतदाता सर्वाधिक हैं. इसके बाद अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं. इसलिए दोनों ही प्रमुख पार्टी की मुख्य नजर इन दोनों जाति के वोटराें पर टिकी है. वहीं एक दर्जन से ज्यादा स्थानीय नेता नाला सीट से उम्मीदवार बनकर मुकाबला रोमांचक करने का प्रयास में जुटे हैं.

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