भगवान ने भी कर्म को माना है प्रधान, अच्छा कर्म करिए : सिया तान्या शरण

कथावाचिका सिया तान्या शरण ने भगवान के बाल लीलाओं का वर्णन किया.

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2024 10:08 PM

नारायणपुर. करमाटांड ठाकुरबाड़ी परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचिका सिया तान्या शरण ने भगवान के बाल लीलाओं का वर्णन किया. कहा कि भगवान को माखन इसलिए अच्छा लगता है, क्योंकि माखन भक्त का प्रतीक है. उन्होंने प्रवचन में समुद्र में कालिया नाग की कथा सुनाते हुए कहा कि कालिया नाग बृज में समुद्र में रहता था. कोई समुद्र में जाता तो उससे वह मार देता था. भगवान ने कालिया नाग के अहंकार को चूर कर दिया. उन्होंने गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए कहा कि 7 कोस लंबे चौड़े कालिकाल के देवता गोवर्धननाथ को 7 वर्ष के कन्हैया ने अपने सबसे छोटी उंगली में 7 दिनरात रखा. भगवान धारण किए रहे इंद्र देव का अभिमान तोड़ा. इसलिए जीव को कभी अभिमान नहीं करना चाहिए और कर्म करना चाहिए. फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए. इसलिए भगवान ने भी कर्म को प्रधान बताते हुए कहा कर्म करना जीव का धर्म है. फल देना मेरा काम है. बृजवासी भगवान से इतना प्रेम करते है कि उन्हें एक पल भी अपनी आंखों से ओझल होने देना नहीं चाहते. कहा कि हमारे ठाकुरजी प्रेम के भूखे हैं. वे अपने भक्तों की प्रेम के लिए कुछ भी कर सकते है. अगर मन की सुंदरा हो तो तन की सुंदरता मायने नहीं रखती. हमारा मन सुंदर होना चाहिए. दुनिया की सभी बाधाएं पल भर में दूर हो जायेगी. वहीं कार्यक्रम के दौरान भगवान को 56 प्रकार का भोग लगाया गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version