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हिंदी संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि हमारी राष्ट्रीय पहचान भी है : डीसी

समारहणालय सभागार में हिंदी दिवस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया.

जामताड़ा. समाहरणालय सभागार में शनिवार को राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर डीसी कुमुद सहाय ने कहा कि हिंदी न सिर्फ संवाद का माध्यम है, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय पहचान भी है. यह हमें प्राचीन परंपराओं के साथ मातृभाषा के रूप में भारतीय संस्कृति से जोड़ती है. कहा कि पूरे विश्व में हिंदी सर्वाधिक बोले जाने वाली तीसरे नंबर की भाषा है. कहा कि इस वर्ष की थीम “हिंदी पारंपरिक ज्ञान से बुद्धिमत्ता तक ” है. वहीं उन्होंने हिंदी दिवस मनाने का असल उद्देश्य हिंदी के प्रचार प्रसार एवं संवर्धन को बढ़ावा देना बताया है. उन्होंने सभी से हिंदी भाषा का भरपूर उपयोग हिंदी के शुद्ध शब्दों के करने की अपील की. डीसी ने सभी अधिकारियों एवं कर्मियों को राजभाषा प्रेम की ज्योति जलाये रखने के साथ-साथ प्रोत्साहित करने की बात कही. अपने प्रबंधन को और अधिक कुशल और प्रभावशाली बनाते हुए राजभाषा हिंदी का प्रयोग, प्रचार और प्रसार बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहने की शपथ दिलायी. आइटीडीए निदेशक जुगनू मिंज ने कहा कि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि के रूप में हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था. उन्होंने देश विदेश में हिंदी के बढ़ते महत्व एवं इसके और अधिक प्रसार को लेकर अपने विचार रखा. एसडीपीओ अनंत कुमार ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में हिंदी के विकास एवं इसके फायदे एवं चुनौतियों को बताया. मौके पर एसी पूनम कच्छप, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी एजाज हुसैन अंसारी, डीइओ चार्ल्स हेंब्रम, डीएसइ विकेश कुणाल प्रजापति आदि थे.

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