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जैन श्रद्धालुओं ने उत्तम अकिंचन धर्म का किया पालन

जीवन में अधिक से अधिक धन संग्रह करने की लालसा का परित्याग करना ही उत्तम अकिंचन धर्म है.

मिहिजाम. जीवन में अधिक से अधिक धन संग्रह करने की लालसा का परित्याग करना ही उत्तम अकिंचन धर्म है. कम में जीवन की खुशियां तलाश कर संतोष को प्राप्त कर लेना ही जीवन का सार है. दशलक्षण पर्व के 9वें दिन जैन श्रद्धालुओं ने अकिंचन धर्म का पालन किया. अधिक धन प्राप्ति की इच्छा का त्याग करने का संदेश दिया. श्रद्धालुओं ने बताया मानव यह कहता है कि मेरा कुछ नहीं है, लेकिन वास्तविकता में मन में यह इच्छा रहती है घर मेरा, संपत्ति मेरी, परिवार मेरा देखा जाए तो हमारा कुछ भी नहीं है. दिगंबर जैन मंदिर में भगवान शांतिनाथ का जलाभिषेक व आरती की गई. मौके पर अनिल जैन, अशोक जैन, रिंटू जैन, रिंकू जैन, विकास जैन, टीका जैन, स्वरूप जैन, चुन्नू जैन, पप्पू जैन, विपिन जैन, नीरू जैन, ममता जैन, मोना जैन, शांति जैन, लता जैन, सुमित्रा जैन, नीलम जैन, नीता जैन, कुसुम जैन, मधु जैन आदि मौजूद थीं.

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