भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक करमा पर्व संपन्न
युवतियों ने करम पर्व धूमधाम से मनाया. पारंपरिक करम गीत पर नृत्य कर लोगों का मन मोह लिया.
फोटो – 04 अमलाचातर गांव में नृत्य करती युवतियां, 05 कटंकी गांव में नृत्य करती युवतियां संवाददाता जामताड़ा प्रकृति के सृजन संरक्षण और पोषण का प्रतीक करम पर्व क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया. इस पर्व में नव युवतियां विशिष्ट नियमों का पालन करते हुए करम राजा की उपासना करते हैं. पहले दिन सभी स्नान कर करमडाली (टोकरी) में बालू भरकर जावा के नौ तरह के बीज बोते है. तत्पश्चात प्रतिदिन प्रातः एवं सायं नौ दिनों तक उसकी उपासना एवं आराधना की जाती है. युवतियां एक साथ कर्म डाली के चारों ओर घूम-घूम कर नाचती गाती है. इस दौरान इस दौरान विशेष नियमों का पालन करते हुए उसकी देखभाल सुरक्षा संरक्षण और संवर्धन करते हैं. इस कार्य में युवतियों के भाई उनकी मदद करते हैं. इसी कारण वे करम राजा से अपने भाई की सुख और समृद्धि की कामना करते हैं. करम पर्व भाई-बहन के अटूट और निश्छल प्रेम का प्रतीक है. नौवे दिन सभी करमैती बहनें निर्जला उपवास रहकर करम राजा की विशेष आराधना करती हैं. रात भर पर जगह-जगह पर ढोल नगाड़े मांदर की थाप के साथ साथ झूमर गीत गाया जाता है. जिले के कटंकी, निमबेडा, कलाझरिया, आसनचुआं, बरजोड़ा, गोपालपुर, आमलाचातर गांव में करम पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. आमलाचातर गांव में इस अवसर पर एक करम प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. अलग-अलग टीमों ने एक से बढ़कर एक पारंपरिक और आधुनिक करम गीत प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया. प्रकृति के पर्व में प्रकृति ने भी बीच-बीच में वर्षा करके सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया. कार्यक्रम के अध्यक्षता भक्ति पद महतो ने की. संचालन तपन कुमार महतो ने किया. टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष अशोक महतो ने बताया कि करम कुड़मी जनजाति का सबसे विशिष्ट पर्व है. सरकार द्वारा इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रयास करना चाहिए. कार्यक्रम के अंत में सभी सभी टीमों को पुरस्कार प्रदान किया गया. मौके पर लखन महतो, निरंजन महतो, सुनीता देवी, पूजा महतो, जन कल्याण युवक समिति के अध्यक्ष जनार्दन महतो, सचिव मनोज सिंह, कोषाध्यक्ष अतिका महतो सहित अन्य थे. 04
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