नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की हुई पूजा, ब्रह्मचारिणी की आज
नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार को मां शैलपुत्री की आराधना हुई. सभी पूजा पंडालों व मंदिरों के अलावा घरों में कलश की स्थापना की गयी.
संवाददाता, जामताड़ा नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार को मां शैलपुत्री की आराधना हुई. सभी पूजा पंडालों व मंदिरों के अलावा घरों में कलश की स्थापना की गयी. नौ दिनों तक लगातार मां की अराधना होगी. मान्यता के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं. नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना का मुहूर्त, मां शैलपुत्री की पूजा, आरती हुई. मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं. मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति भी मिलती है. वहीं नवरात्र के दूसरे दिन शुक्रवार को देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम में वृद्धि होती है. घांटी गढ़ दुर्गा मंदिर में माता के नौ रूपों की पूजा शुरू : मुरलीपहाड़ी. नारायणपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में देवी मंडपों व घरों में कलश स्थापना के साथ ही गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो गयी. प्रथम दिन देवी भगवती के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की आराधना हुई. नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होगी. प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा आयोजित हुई. प्रखंड के घांटी गढ़ दुर्गा मंदिर में पुरोहित पं भास्कर पाठक ने पूजा-अर्चना कर कलश स्थापना करायी. इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ सप्तशती चंडी पाठ किया. घंटों की ध्वनि, फूल-बिल्व पत्र व धूप-दीप की महक से माहौल भक्तिमय हो गया है. मंदिर में मां दुर्गा की पूजा के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. मां जगत जननी दुर्गा देवी को मनाने और प्रसन्न करने के लिए भक्त विविध प्रकार से पूजन अर्चना शुरू कर दी है. भक्तों ने फलाहार कर मां दुर्गे की आराधना की. संध्या आरती के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी.
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