नारायणपुर. करमाटांड के ठाकुरबाड़ी में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया गया. कृष्ण जन्म के प्रसंग शुरू होते ही पंडाल में मौजूद श्रद्धालु नंद के घर आनंद भयाे… जय कन्हैया लाल की… भजनों के साथ झूम उठे. वहीं श्रद्धालुओं ने आतिशबाजी कर मक्खन, मिश्री के प्रसाद का भोग लगाकर वितरित किया. कथावाचिका सिया तान्या शरण ने कहा कि जीवन में जब भी भगवत नाम सुनने का अवसर प्राप्त हो, उससे विमुख नहीं होना चाहिए. भागवत महापुराण के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि जब जब धरती पर अधर्म बढ़ता है, तब तब परमात्मा अवतार धारण करके धरती पर धर्म की स्थापना करते हैं. वहीं विभिन्न प्रसंगों पर कथा सुनाई. कृष्ण जन्म की कथा के पूर्व भगवान राम के अवतार की लीला का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि भगवान राम ने आदर्श स्थापित किया है. वह आज भी प्रासंगिक है. राम जन्म, ताड़का वध, राम विवाह, वनवास, रावण वध सहित राम राज्याभिषेक पर सुन्दर व्याख्यान दिया. कहा कि द्वापर में जब कंस के अत्याचार बढ़े तो श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर मुक्ति दिलाई. हिरण्य कश्यप काफ़ी अत्याचारी राजा थे. उनके ही घर में नारायण के भक्त प्रहलाद नें जन्म लिया. प्रहलाद नें कठोर तप कर भगवान की कृपा पाई. अपने पिता और परिवार को उद्धार किया. वहीँ कथा श्रवण में काफी संख्या में श्रोताओं की भीड़ उमड़ी.
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