जामताड़ा. विश्व सिकल एनीमिया दिवस पर सदर अस्पताल में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसका शुभारंभ डीसी कुमुद सहाय ने किया. डीसी ने कहा कि इस बीमारी को लेकर हमें जागरूक व सतर्क रहना जरूरी है. यह एक वंशानुगत बीमारी है, जो बच्चों में उनके माता-पिता के जरिए होता है. कहा कि यहां के लोगों में इस बीमारी को लेकर समझ व पर्याप्त जागरूकता नहीं है, जिस कारण उनका सही समय पर सही इलाज नहीं हो पाता है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रत्येक कर्मियों से अपील की कि अधिक से अधिक लोगों के बीच इस बीमारी के दुष्परिणाम के बारे में जागरुकता फैलाएं, ताकि लोग जागरूक होकर इसकी जांच कराएं. वहीं अधिक से अधिक जांच कर ऐसे रोगियों की पहचान करें उनकी काउंसलिंग कर बचाव के बारे में जानकारी दें. वहीं, सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद ने बताया कि सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त रोग है, जो पूरे जीवन को प्रभावित करती है. यह भारत की जनजातीय आबादी में अधिक है, लेकिन गैर-आदिवासियों में भी यह देखा जा रहा है. यह न केवल एनीमिया का कारण बनता है, बल्कि दर्द, विकास में कमी, फेफड़े, हृदय, गुर्दे, आंख, हड्डियां और मस्तिष्क जैसे कई अंगों को भी प्रभावित करता है. मौके पर डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ अमित कुमार तिवारी, डॉ डीसी मुंशी आदि मौजूद थे. सिकल सेल एनीमिया के लक्षण व बचाव एनीमिया/पीलापन दिखाई देना, बार-बार संक्रमण होना, बीमार होना, थकान, बुखार एवं सूजन तथा कमजोरी महसूस करना सिकल सेल एनीमिया के लक्षण हैं. बचाव : दिन भर ज्यादा से ज्यादा पानी पियें, यानि (10-15 गिलास) पियें. डॉक्टर की सलाह से फॉलिक एसिड गोली प्रतिदिन लें. उल्टी-दस्त, पसीने से शरीर का ज्यादा पानी बाहर निकलने पर डॉक्टर से संपर्क करें. संपूर्ण संतुलित आहार लें. हर तीन महीने में हीमोग्लोबिन स्तर तथा श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या की जांच करें. क्या नहीं करें: : ज्यादा गर्मी या धूप में बाहर नहीं निकलें. ज्यादा ऊंचाई वाले पहाड़ों, हिल स्टेशन पर न जाएं. ज्यादा ठंड में बाहर जाने से बचें. समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लें.
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