प्रतिनिधि, कुंडहित विधानसभा चुनाव संपन्न होने के साथ ही नाला विधानसभा सीट के प्रत्याशी अपनी किस्मत भगवान भरोसे छोड़कर आराम की मुद्रा में चले गये, जबकि चुनाव खत्म होने के साथ ही प्रत्याशियों के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं की नींद हराम हो गया है. कार्यकर्ताओं को न तो खाना पीना अच्छा लग रहा है न ही सोना अच्छा लग रहा है. उनका पूरा का पूरा समय हार और जीत के अनुमान और कयास लगाने में बीत रहा है. कार्यकर्ताओं की बेचैनी इस बात से समझी जा सकती है कि चुनाव के बाद से वे लगातार लोगों से संपर्क का हाल-चाल जानने में जुटे हुए हैं. जीत का सेहरा एक प्रत्याशी पर ही बंधेगी. बाकी प्रत्याशियों के कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास की भी काफी कमी देखने को मिल रही है. झामुमो के कार्यकर्ता हो, चाहे भाजपा कार्यकर्ता, दोनों ही चुप रहने में ही भलाई समझ रहे हैं. कार्यकर्ता लगातार क्षेत्र में लोगों से संपर्क कर वस्तु स्थिति का अनुमान लगाने का प्रयास कर रहे हैं. अब ना तो झामुमो के कार्यकर्ता जीत का दावा करते दिख रहे हैं. भाजपा चुनाव खत्म होने के बाद चुनावी घोषणा के साथ ही सक्रिय हो चुके प्रत्याशियों को थोड़ा आराम मिला है, जबकि कार्यकर्ताओं की नींद चुनाव खत्म होने के बाद से टीवी पर आ रहे एग्जिट पोलों ने हराम कर दी है. फिलहाल क्षेत्र के तमाम दलों और निर्दलियों के कार्यकर्ता हार और जीत के गुणा भाग में बेचैन नजर आ रहे हैं. 23 तारीख को कार्यकर्ताओं की बेचैनी थमेगी और जीतने वाले प्रत्याशी के किस्मत का सितारा बुलंद होगा. लोग भी अब बेसब्री से मतगणना समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं.
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