बाघमारा गांव में अखंड हरिनाम संकीर्तन से बह रही भक्ति का बयार

बांदरनाचा पंचायत अंतर्गत बाघमारा गांव में चौबीस प्रहर अखंड हरिनाम संकीर्तन के आयोजन से संपूर्ण क्षेत्र में भक्तिरस का प्रवाह होने लगा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 14, 2024 8:55 PM
an image

फतेहपुर. बांदरनाचा पंचायत अंतर्गत बाघमारा गांव में चौबीस प्रहर अखंड हरिनाम संकीर्तन के आयोजन से संपूर्ण क्षेत्र में भक्तिरस का प्रवाह होने लगा है. शाम ढलने के साथ ही गांव के वैष्णवों भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है. इस धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन उद्धव चंद्र महता की ओर से किया गया है. बुधवार के रात्रि में बंगाल पंचगछिया आसनसोल के कीर्तनिया अंजन उपाध्याय ने भगवान श्रीकृष्ण-राधा के प्रसंग का मधुर वर्णन किया. भगवान श्रीकृष्ण-राधा के पूर्वराग लीला का वर्णन व नृत्य-गीत प्रस्तुत कर देर रात तक भक्तों को मंत्रमुग्ध बनाकर रखा. कहा कि भगवान श्रीकृष्ण आनंदमय हैं. उनकी प्रत्येक लीला आनंदमयी हैं. उनकी लीला को आनंद-श्रृंगार भी कह सकते हैं. कहा कि राग के भी तीन प्रकार माने गये हैं मन्जिष्ठा, कुसुमिका और शिरीषा. मन्जिष्ठा नामक लाल रंग की चमकीली बेल का रंग जैसे धोने पर या अन्य किसी प्रकार से नष्ट नहीं होता और अपनी चमक के लिए किसी दूसरे वर्ण भी अपेक्षा नहीं रखता, उसी प्रकार मन्जिष्ठा नामक राग भी निरंतर स्वभाव से ही चमकता और बढ़ता रहता है. यह राग श्रीराधा-माधव के अंदर नित्य प्रतिष्ठित है. यह राग किसी भी भाव के द्वारा विकार को प्राप्त नहीं होता. प्रेमोत्पादन के लिए इसमें किसी दूसरे के लिए आवश्यकता नहीं होती. यह अपने-आप ही उदय होता है और बिना किसी के लिए आप ही निरंतर बढ़ता रहता है, जिनका जीवन श्रीकृष्ण-सुख के लिए हैंं, उनकी रति ‘समर्था’ प्रेम ‘मधुवत्’ और राग ‘मन्जिष्ठा’ होता है. जिनका दोनों के सुख के लिये है, उनकी रति ‘समन्जसा’, प्रेम ‘घृतवत्’ और राग ‘कुसुमिका’ होता है और जिनका प्रेम केवल निजेन्द्रियतृप्ति के लिये ही होता है, उनकी रति ‘साधारणी’, प्रेम ‘लाक्षावत्’ और राग ‘शिरीषा’ होता है. भगवान श्रीकृष्ण ने जीव जगत को शिक्षा देने के लिए ये लीलाएं की. कलियुग में जीवों के उद्धार का एकमात्र उपाय हरिनाम संकीर्तन है. दिन भर अपना कर्म करते हुए कम से कम एक बार सच्चे मन भगवान का कीर्तन करना चाहिए. कहा कि गौरांग महाप्रभु जात-पात, ऊंच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया. हम सभी सांसारिक जीव को हमेशा सत्कर्म एवं जीवों के प्रति दया भाव रखना चाहिए. सैकड़ों भक्तों ने हरिकथा का श्रवण व प्रसाद ग्रहण कर पुण्य के भागी बने. मौके पर जियारानी देवी, संजीव महता, राजीव कुमार महता, प्रिया देवी, जनार्दन अधिकारी, अजित झा, गणेश झा, दिवाकर झा, मानिक झा, कार्तिक महता, नारायण चंद्र झा आदि मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version