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Jharkhand News : ट्रांस जेंडर समुदाय के उत्थान पर दिल्ली में मंथन

Jharkhand News : दिल्ली के एनआइएसडी में ट्रांंसजेंडर्स के हेल्थ और अधिकार पर दो दिवसीय ट्रेनिंग कार्यक्रम का हुआ आयोजन.

Jharkhand News , वरीय संवाददाता, लता रानी : नयी दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन) परिसर में संस्थान व अलाएंस इंडिया के सहयोग से स्टेकहोल्डर्स के लिए 30 सितंबर व एक अक्तूबर को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें देश भर से ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कार्यरत संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य ने भाग लिया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य सभी स्टेकहोल्डर्स को ट्रांसजेंडर एक्ट 2019 में वर्णित ट्रांसजेंडर समुदाय के समग्र स्वास्थ्य से संबंधित अधिकारों के प्रति जागरूक करना था. साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों की ओर से दी जा रही सुविधाओं की जानकारी देना और एक्ट के प्रावधानों को पूरी तरह लागू करने के लिए आगे के प्रयासों के लिए प्रेरित करना था.

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2014 में ट्रांसजेंडर समुदाय को मिली थी असली स्वतंत्रता

संस्था के ”साहस” प्रोजेक्ट के तहत उपरोक्त जागरूकता कार्यक्रम कई राज्यों में चलाये जा रहे हैं. ट्रांसजेंडर समुदाय के इतिहास पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से छत्तीसगढ़ से आयी रवीना (साहस की प्रोजेक्ट डायरेक्टर) ने प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि कैसे रामायण, महाभारत, मुगल और अन्य कालों में ट्रांसजेंडर समुदाय मुख्यधारा में शामिल था. समाज ने उनको स्वीकार किया और फिर कैसे अंग्रेजों ने हमारी इस सभ्यता पर कुठाराघात करते हुए ट्रांसजेंडर समुदाय को अपराधी बना दिया. सही मायनों में 2014 में नालसा जजमेंट के आने पर ट्रांसजेंडर समुदाय को असली स्वतंत्रता मिली. जब थर्ड जेंडर को कानूनी मान्यता मिली. उससे पहले तो कोई पहचान ही नहीं थी.

पहले डेरा के ट्रांसजेंडरों को बाहर जाने की इजाजत नहीं थी

लखनऊ से आयी डेरा गुरु गुड्डन ने बताया कि पहले डेरा के ट्रांसजेंडरों को बाहर जाने की इजाजत नहीं थी. वे मीडिया में बात नहीं कर सकते थे. यह देखकर बुरा लगता था. गुड्डन ने बताया कि वे डेरा में आये 30-40 बच्चों को शिक्षा दिलाकर उनका भविष्य संवार रही हैं. गुड्डन ने आपबीती बतायी कि कैसे मेहमान के घर आने पर माता-पिता उन्हें कहीं किनारे कर देते थे. जिससे वह छुप-छुपकर, रो-रोकर जीती थीं. हैदराबाद (तेलंगाना) से आयी मुकुंदा माला ने बताया कि कैसे तेलंगाना में ट्रांसजेंडर समुदाय के स्वास्थ्य के लिए उनकी संस्था कार्य कर रही है. चाहे कोई एचआइवी पीड़ित हो या किसी को सर्जरी करानी हो. सबको मार्गदर्शन दिया जाता है. साथ ही राज्य सरकार की ओर से मिल रही सुविधाओं का भी लाभ पहुंचाया जाता है.

ट्रांसजेंडर को संपत्ति से भी नहीं किया जा सकता वंचित

कानूनविद अमृता सरकार ने ट्रांसजेंडर एक्ट 2019 के बारे में समझाते हुए बताया कि चोट लगने या किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या को लेकर किसी भी अस्पताल या क्लिनिक में ट्रांसजेंडर को इलाज कराने का हक है. कहीं भी अधिकारों का हनन होने पर डालसा की मदद ली जा सकती है.उन्होंने बताया कि ट्रांसजेंडर को संपत्ति से भी वंचित नहीं किया जा सकता. लेकिन ज्यादातर ट्रांसजेंडर परिवार के खिलाफ थाना नहीं जाते. कार्यक्रम का संचालन एलाएंस इंडिया की प्रतिनिधि अनुभूति ने किया. दोनों दिन के कार्यक्रम के दौरान ओपन हाउस डिस्कशन हुआ. झारखंड से उत्थान सीबीओ के सचिव अमरजीत के नेतृत्व में 13 सदस्यीय प्रतिनिधित्व मंडल ने प्रशिक्षण में भाग लिया. जिनमें अमरजीत, पत्रकार अन्नी अमृता, पत्रकार लता रानी, उषा सिंह, रितिका श्रीवास्तव, डाॅ मनीषा, संगीता, रामचंद्र, रितिक राज, ट्रांसजेंडर माही, करीना, लाली, कबूतरी शामिल थे.

अमरजीत को किया गया सम्मानित

प्रशिक्षण कार्यक्रम में झारखंड में ”उत्थान सीबीओ” के माध्यम से ट्रांसजेंडर के हित के लिए कार्य कर रही संस्था की सचिव अमरजीत को सम्मानित किया गया. अमरजीत के साथ 13 सदस्यीय टीम में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और जमशेदपुर सदर अस्पताल में मेंटल हेल्थ के कार्य से जुड़े लोग शामिल थे.
प्रतिनिधिमंडल में शामिल महिला इंटक की ज्वाइंट सेक्रेटरी उषा सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम में भाग लेने से पता चला कि थर्ड जेंडर के लिए कैसे कार्य कर सकते हैं. मार्शल आर्ट प्रशिक्षिका रितिका श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम से यह पता चला कि देश भर में वकील, डाॅक्टर और विभिन्न पदों पर ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग कार्यरत हैं और देश की सेवा कर रहे हैं.

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ट्रांसजेंडर समुदाय के मुद्दों पर लिखने से बढ़ेगी जागरुकता

पत्रकार सह सामाजिक कार्यकर्ता अन्नी अमृता ने कहा कि स्टेकहोल्डर्स को वाकई प्रशिक्षण की जरूरत है. क्योंकि ट्रांसजेंडर समुदाय का वेलफेयर एक ऐसी चुनौती है, जिसके लिए आपको बेहतर तरीके से पूरी जानकारी के साथ कार्य करने की जरूरत है. पत्रकार लता रानी ने बताया कि ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़े मुद्दों पर मीडिया में ज्यादा से ज्यादा लिखने पर जागरूकता बढ़ेगी. रिनपास से आयी मेंटर हेल्थ एक्सपर्ट डाॅ मनीषा और उनकी सहायक संगीता ने ट्रांसजेंडर समुदाय के मेंटल हेल्थ को लेकर अहम जानकारियां दी. उन्होंने समुदाय के लोगों से अपील की कि वे मेंटल हेल्थ के लिए सहायता लेने से न हिचकें. रामचंद्र ने बताया कि जमशेदपुर सदर अस्पताल में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सुविधाएं हैं, लेकिन कई बार कुछ असुविधाजनक हालात पैदा हो जाते हैं.

ट्रांसजेंडर समुदाय को भी अपने भविष्य की चिंता करना आवश्यक

ऐसे कार्यक्रमों से यह समझने में मदद मिलती है कि चुनौतियों के बीच कैसे बेहतर कार्य किया जा सकता है. रितिक राज ने कानूनी पहलुओं से जुड़ी जानकारी साझा की टीम लीडर अमरजीत ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर समाज को संवेदनशील तो होना ही चाहिए. साथ ही ट्रांसजेंडर समुदाय को भी अपने स्वास्थ्य और भविष्य की चिंता करते हुए सोच को बदलना चाहिए व सरकार से मिले अधिकारों का प्रयोग कर अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए. अमरजीत ने दुख जताया कि अब तक झारखंड में वेलफेयर बोर्ड फंक्शनल नहीं हो पाया, जो ट्रांसजेंडर समुदाय के हित के प्रति राजनीतिक उदासीनता को दर्शाता है. वहीं ट्रांसजेंडर समुदाय की माही, करीना, लाली और कबूतरी ने इस कार्यक्रम की सराहना की.

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