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झारखंड पंचायत चुनाव : आखिर क्यों मिनी विधायक के रूप में चर्चित थे पूर्व मुखिया पूरन राम साहू

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: पूर्व मुखिया पूरन राम साहू ने बताया कि उन्होंने 1971 में पहली बार पंचायत चुनाव लड़ा था, जिसमें वे सूरज नाथ साहू से 176 वोटों से हार गए थे. 1978 में सूरज नाथ साहू के पुत्र महेश्वरी प्रसाद साहू को हराकर मुखिया पद की शपथ ली थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2022 6:15 PM
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Jharkhand Panchayat Chunav 2022: झारखंड पंचायत चुनाव हो और जन समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा लेटर पैड, स्टांप व मुहर अपनी पैकेट में लेकर घूमने वाले पूर्व मुखिया पूरन राम साहू (80 वर्ष) की चर्चा न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. एकीकृत बिहार की सबसे बड़ी पंचायत के मुखिया रह चुके पूरन राम साहू ने प्रभात खबर से अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि वे स्टांप, पैड हमेशा साथ लेकर घूमते थे. जब किसी को उनकी आवश्यकता होती थी तब तैयार मिलते थे. आज के चुनाव में धन का प्रयोग हो रहा है. लोग उन्हें मिनी विधायक के रूप में जानते थे.

मिनी विधायक के रूप में जाने जाते थे

पूर्व मुखिया पूरन राम साहू ने कहा कि साकूल, पतरातू डीजल कॉलोनी, पतरातू स्टीम कॉलोनी, रसदा, बलकुदरा(बासल) जयनगर, सौदा बस्ती, सौदा डी, सेंट्रल सौदा, सीसीएल सौदा, एके कोलियरी, खास करणपुरा, एके दत्तो कोलियरी, सयाल उत्तरी, सयाल दक्षिणी, सयाल केके पतरातू पंचायत में शामिल थे. इतनी बड़ी पंचायत के मुखिया होने के कारण ग्रामीण इन्हें मिनी विधायक के रूप में जानते थे. वर्तमान में पतरातू पंचायत का सीमांकन 13 पंचायतों में किया गया है, जिसमें रसदा गांव को दूसरी पंचायत में कर दिया गया है.

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1978 में ली थी मुखिया की शपथ

पूर्व मुखिया पूरन राम साहू ने बताया कि उन्होंने 1971 में पहली बार पंचायत चुनाव लड़ा था, जिसमें वे सूरज नाथ साहू से 176 वोटों से हार गए थे. 1978 में सूरज नाथ साहू के पुत्र महेश्वरी प्रसाद साहू को हराकर मुखिया पद की शपथ ली थी. शपथ ग्रहण समारोह 29 जुलाई 1978 को किया गया था. बिहार विधानसभा के सदस्य पीतांबर सिंह द्वारा पतरातू बाजार में पंचायत प्रतिनिधियों के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था. समारोह में करीब आठ हजार लोगों की भीड़ थी. श्री साहू ने कहा कि उस समय उन्हें चुनाव में ग्यारह सौ पचास रुपये खर्च हुए थे. गांव के लोगों द्वारा दो रुपये से लेकर पांच रुपये तक सहयोग राशि दी गयी थी. वे चुनाव प्रचार पैदल, साइकल ,नुक्कड़ सभा के माध्यम से करते थे.

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विकास में पनपा भ्रष्टाचार

उन्होंने कहा कि 1995 तक पंचायती राज सुचारू रूप से चला, परंतु उसके बाद सक्षम न्यायालय द्वारा पंचायतों को निरस्त कर दिया गया. इसके बाद ही जिले व प्रखंड योजनाओं के विकास में भ्रष्टाचार पनपने लगा. वर्तमान समय में पंचायतों का सत्ता भ्रष्टाचारियों के हाथ में है. उन्होंने कहा कि उनके समय में अपना स्टांप, पैड हमेशा साथ लेकर घूमते थे. जब किसी को उनकी आवश्यकता होती थी तब तैयार मिलते थे. आज के चुनाव में धन का प्रयोग हो रहा है. श्री साहू ने लोगों से अपील की है कि पंचायत चुनाव में सोच समझकर अपना उम्मीदवार चुनें, जिससे राज्य में पंचायत के माध्यम से समाज के दबे-कुचले लोगों को सम्मान मिल सके और उनका समुचित विकास हो सके. 2010 में फिर चुनाव हुए, परंतु विकास होने के बजाय भ्रष्टाचार बढ़ गया. वे बताते हैं कि गांव का मामला थाना-कोर्ट नहीं जाए, इसका प्रयास जरूर करते थे. पूरन राम साहू वर्ष 2000 में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से सीपीआई उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे, जिसमें भाजपा के लोकनाथ महतो 6000 मतों से विजयी हुए थे.

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रिपोर्ट: अजय तिवारी

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