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Just Transition News : शून्य उत्सर्जन के लिए झारखंड को बनानी होगी भविष्य को ध्यान में रखकर नीति

Energy transition : सम्मेलन इस बात की सिफारिश की गयी कि कि झारखंड को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए सस्टेनेबल ट्रांजिशन को कारगर बनाने के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया जाना चाहिए.

भारत सरकार ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस राह पर चलने के लिए केंद्र की सरकार के साथ-साथ राज्यों की सरकारों को भी तैयारी करनी होगी. शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कोयला खदानों पर निर्भरता कम करनी होगी या बिलकुल ही खत्म करनी होगी, ऐसे में अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. इसी बात को केंद्र में रखकर वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग (झारखंड सरकार) एवं सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट ने संयुक्त रूप से एक राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया.

सस्टेनेबल ट्रांजिशन के लिए टास्क फोर्स की जरूरत

इस सम्मेलन में भारत और विशेष रूप से झारखंड के लिए नये अवसरों पर विचार किया गया. सम्मेलन इस बात की सिफारिश की गयी कि कि झारखंड को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए सस्टेनेबल ट्रांजिशन को कारगर बनाने के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया जाना चाहिए. इस विशेष कार्य बल का फोकस पूरी तरह सस्टेनेबल ट्रांजिशन पर होना चाहिए. इस कार्य बल में सरकारी क्षेत्र, निजी क्षेत्र एवं अकादमिक क्षेत्र के लोग शामिल होंगे.

सस्टेनबल पॉथवे फॉर फ्यूचर रेडी झारखंड कॉन्फ्रेंस

राज्य में सस्टेनबल पॉथवे फॉर फ्यूचर रेडी झारखंड कॉन्फ्रेंस की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि भारत सरकार ने 2070 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है. पर्यावरण को सुरक्षित करना ग्लासगो कन्वेंशन का लक्ष्य था और इसी लक्ष्य को पूरा करने का मार्ग कैसे प्रशस्त हो यह झारखंड सरकार और सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य था.

भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए नीति निर्धारित

कॉन्फ्रेंस के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एके रस्तोगी ने कहा, यह हम सभी के लिए एक निर्णायक क्षण है क्योंकि झारखंड देश का पहला राज्य है जो भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए नीति निर्धारित कर रहा है. हमें अनिवार्य रूप से एक ग्रीन विजन और एक नये विकास मॉडल की आवश्यकता है जो स्थिरता, समावेशिता और जनहित को ध्यान में रखकर बनायी जाये.

ऊर्जा के अन्य विकल्पों पर भी विचार करने की जरूरत

एके रस्तोगी ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए हमें ऊर्जा के अन्य विकल्पों पर भी विचार करने की जरूरत होगी. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों के लिए खतरा हैं और लोगों की क्षमता को कमजोर करते हैं. इसलिए एनर्जी ट्रांजिशन की जरूरत है.

कॉन्फ्रेंस की सख्त जरूरत

इस अवसर पर CEED के सीईओ रमापति कुमार ने कहा कि वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग आयोजित इस सम्मलेन की सख्त जरूरत थी. यह पहल सराहनीय तो है ही समय की मांग भी है. शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें भविष्य को ध्यान में रखकर अर्थव्यवस्था बनाने की जरूरत है. इसके लिए गठित किया जाने वाला टास्क फोर्स अहम भूमिका निभायेगा इसलिए इस टास्क फोर्स की सख्त जरूरत है.

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