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Special Story: झारखंड के 624 बच्चे अब नहीं ले पाएंगे केंद्रीय विद्यालय में नामांकन, प्राइवेट सेक्टर के पैरेंट्स की भी बढ़ी परेशानी

झारखंड के कई बच्चे अब केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई नहीं कर पाएंगे. जी हां, ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्रीय विद्यालय संगठन ने एक नया नियम लाया है जिसके तहत सभी स्कूलों में 20 प्रतिशत सीट कम कर दिए गए है. साथ ही इंटर स्कूल ट्रांसफर पॉलिसी में भी बदलाव किए गए है. आखिर क्या-क्या बदलाव हुए है और इसका असर कितने बच्चों पर और कितना गहरा पड़ेगा, इसपर पेश है एक खास रिपोर्ट...

By Aditya kumar | April 10, 2024 11:39 AM

KV : केंद्रीय विद्यालय संगठन ने कुछ प्रमुख बदलाव किए है जिससे बच्चें और अभिभावक दोनों परेशान है. अब संगठन ने फैसला लिया है कि वह हर क्लास में 8-8 सीटें कम कर दी जाएगी. इस फैसले के बाद झारखंड के हजारों बच्चे केंद्रीय विद्यालय में नामांकन नहीं करा पाएंगे. देशभर के सभी केंद्रीय विद्यालय में नए एडमिशन के लिए 32 सीटों के लिए आवेदन ही मंगाए जा रहे है. इस फैसले से पहले तक प्राइमरी से हायर सेकेंडरी तक हर क्लास में 40-40 सीटें होती थीं लेकिन अब यह बदल जाएगा.

झारखंड के कुल 34,616 बच्चे केंद्रीय विद्यालय में करते है पढ़ाई

बात अगर झारखंड की करें तो झारखंड में कुल 41 केंद्रीय विद्यालय है. अलग-अलग जिलों में स्थित इन स्कूलों में भारी मात्रा में छात्र नामांकन के लिए आवेदन देते है. लेकिन, अब इन आवेदन में से केवल 32 सीटों पर ही नामांकन होगा. 30 सितंबर, 2023 के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो झारखंड में कुल 34,616 बच्चे पढ़ते है, जिसमें 18644 छात्र और 15972 छात्राएं शामिल है. किन कक्षाओं में कितने बच्चे पढ़ाई करते है आइए देखते है इसके आंकड़े

New admission
  • बाल वाटिका I से III : 686
  • छात्र : 373
  • छात्राएं : 313
  • कक्षा 1 से कक्षा 5 : 15023
  • छात्र : 8106
  • छात्राएं : 6917
  • कक्षा 6 से कक्षा 8 : 9129
  • छात्र : 4978
  • छात्राएं : 4151
  • कक्षा 9 और 10 : 5694
  • छात्र : 3156
  • छात्राएं : 2538
  • कक्षा 11 और 12 : 4084
  • छात्र : 2031
  • छात्राएं : 2053

किन स्कूलों में कितने कम बच्चों का होगा नामांकन

चूंकि, इस बार से केंद्रीय विद्यालय अपने स्कूलों में नए नामांकन के लिए 20 फीसदी सीटें कम कर रही है इसलिए झारखंड के सभी 41 स्कूलों में भी सीटों की संख्या घट रही है. केंद्रीय विद्यालय के आधिकारिक वेबसाइट ने इससे संबंधित जानकारी साझा की है. केवल पहली कक्षा में सीटें कम करने पर जो संख्या निकलकर सामने आ रही है वह है 624. जी हां, इस साल पहली कक्षा में कुल 624 कम सीटों के लिए नामांकन होगा. आइए देखते है सभी स्कूल के आंकड़े

Kv new admission
  • KV BOKARO NO. 1 – 24 सीटें कम
  • KV BOKARO NO. 3 – 16 सीटें कम
  • KV BOKARO THERMAL – 16 सीटें कम
  • KV CHAKRADHARPUR – 16 सीटें कम
  • KV CHANDRAPURA – 16 सीटें कम
  • KV DHANBAD NO. 1 – 24 सीटें कम
  • KV DHANBAD NO. 2 – 8 सीटें कम
  • KV GOMOH – 16 सीटें कम
  • KV HAZARIBAGH – 16 सीटें कम
  • KV MAITHON DAM – 24 सीटें कम
  • KV MEGHAHATUBURU – 24 सीटें कम
  • KV PATRATU – 16 सीटें कम
  • KV BARKAKANA – 8 सीटें कम
  • KV BHURKUNDA – 8 सीटें कम
  • KV RAMGARH CANTT – 24 सीटें कम
  • KV CRPF – 16 सीटें कम
  • KV HEC – 16 सीटें कम
  • KV DIPATOLI – 24 सीटें कम
  • KV CCL – 8 सीटें कम
  • KV HINOO SHIFT- I – 24 सीटें कम
  • KV HINOO SHIFT- II – 16 सीटें कम
  • KV NAMKUM – 16 सीटें कम
  • KV SINGHARSHI – 8 सीटें कम
  • KV SURDA – 16 सीटें कम
  • KV TATA NAGAR – 16 सीटें कम
  • KV GARHWA – 8 सीटें कम
  • KV GODDA – 16 सीटें कम
  • KV JAMTARA – 16 सीटें कम
  • KV LATEHAR – 16 सीटें कम
  • KV MADHUPUR – 8 सीटें कम
  • KV SIMDEGA – 8 सीटें कम
  • KV SAHIBGANJ – 8 सीटें कम
  • KV GUMLA – 8 सीटें कम
  • KV KHUNTI – 16 सीटें कम
  • KV LOHARDAGA – 16 सीटें कम
  • KV DUMKA – 16 सीटें कम
  • KV GIRIDIH – 16 सीटें कम
  • KV CHATRA – 16 सीटें कम
  • KV SARAIKELA KHARSAWAN – 8 सीटें कम
  • KV KODERMA – 8 सीटें कम
  • KV DANGOAPOSI – 8 सीटें कम
  • KV PALAMU – 8 सीटें कम
  • कुल कितनी सीटें हुई कम – 624

KV ने क्यों लिया ये फैसला

विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय विद्यालय ने ये फैसला इसलिए लिया है क्योंकि वह ज्यादा बच्चों का लोड नहीं ले पा रहा था. जानकारों का यह भी कहना है कि केंद्रीय विद्यालय में अधिक संख्या में छात्र होने से उन पर पूरी तरह ध्यान दे पाना संभव नहीं हो पाता है और उनकी क्षमता घट जाती है. हालांकि, छात्रों और परिजनों के बीच इस फैसले को लेकर काफी निराशा देखी जा रही है.

Kv new admission

इंटर स्कूल ट्रांसफर पॉलिसी में क्या हुआ बदलाव

अभिभावकों के निराशा का एक और कारण है, इंटर स्कूल ट्रांसफर पॉलिसी. केंद्रीय विद्यालय में सरकारी नौकरी करने वाले अभिभावक के बच्चों के अलावा प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के बच्चों का भी नामांकन होता है. लेकिन, इस बार से प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की परेशानी थोड़ी बढ़ जाएगी. प्राइवेट नौकरी कर रहे पेरेंट्स का राज्य के बाहर ट्रांसफर होने पर उनके बच्चों को दूसरे राज्य के स्कूल में ट्रांसफर नहीं मिलेगा. यह सुविधा अब केवल सरकारी नौकरी वाले पैरेंट्स के बच्चों को ही मिलेगी.

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