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मॉनसून से प्रभावित होगा कोयला उत्पादन

तैयारी में जुटी हैं परियोजनाएं खलारी : एनके एरिया की खानों में कोयला उत्पादन को माॅनसून प्रभावित करेगा. परियोजनाएं माॅनसून से निबटने के लिए तैयारी में जुटी हुई हैं. सीसीएल के एनके एरिया में चार खुली खदानें डकरा, केडीएच, रोहिणी तथा पुरनाडीह हैं. चूरी परियोजना में एकमात्र भूमिगत खदान है. खदानें खुली होने के कारण […]

तैयारी में जुटी हैं परियोजनाएं
खलारी : एनके एरिया की खानों में कोयला उत्पादन को माॅनसून प्रभावित करेगा. परियोजनाएं माॅनसून से निबटने के लिए तैयारी में जुटी हुई हैं. सीसीएल के एनके एरिया में चार खुली खदानें डकरा, केडीएच, रोहिणी तथा पुरनाडीह हैं. चूरी परियोजना में एकमात्र भूमिगत खदान है. खदानें खुली होने के कारण ओपेन कास्ट माइंस में परेशानी स्वाभाविक है.
हालांकि प्रबंधन का एक पक्ष यह भी है कि कोयला उत्पादन में परेशानी हुई तो ओवर बर्डेन हटाने का काम जारी रहेगा. बारिश से कोयला निकालने का फेस डूब जाता है. इस स्थिति से बचने के लिए पूर्व प्लानिंग कर बरसात के लिए ऊपरी हिस्से में कोयले का फेस तैयार रखा जाता है. खदान की सड़कें स्लीपरी हो जाती हैं. फिसलन के कारण हॉलपैक, डंपर या भारी मशीनों के आवागमन में परेशानी होती है. खदान में सड़क और कोयले को डूबने से बचाने के लिए गारलैंड नाले, खदान के चारो ओर तथा क्रॅस नाला, संप, कल्वर्ट आदि बनाया जाता है. बारिश के दिनों में खदान में प्रकाश की कमी हो जाती है.
80 प्रतिशत तैयारी कर चुका है रोहिणी प्रबंधन
पीओ एमके अग्रवाल का दावा है कि रोहिणी परियोजना माॅनसून को लेकर तैयार है. उल्लेखनीय है पूर्व के वर्षों में केंदुआ नाला रोहिणी के लिए परेशानी का सबब बना रहता था। लेकिन रोहिणी का एक भाग आउटसोर्सिंग को दिये जाने के बाद से केंदुआ नाला का अस्तित्व ही खत्म हो गया. वहां अब खदान है.
15 फिट नीचे है कोयला
पुरनाडीह प्रबंधन भी माॅनसून से निबटने के लिए तैयार है. पीओ एसके सिंह ने बताया कि खदान में पानी भरने की संभावना कम है. बगल से गुजरे प्राकृतिक नाले के माध्यम से खदान का पानी निकाल दिया जायेगा. खदान में पंप भी लगाये गये हैं. यहां कोयला मात्र 15 फिट नीचे है.
डकरा भी है तैयार
डकरा पीओ यूसी गुप्ता का दावा है कि डकरा खदान में बारिश से परेशानी नहीं होगी. मशीनों को सुरक्षित जगह पर लगा दिया जायेगा. खदान में पंप भी लगाये गये हैं.
आउटसोर्सिंग के भरोसे है केडीएच
केडीएच परियोजना आउटसोर्सिंग के भरोसे है. केडीएच का जेहलीटांड़ साइट पहले से पानी में डूबा है. ऊपरी हिस्से में जहां कोयला बचा है, वहीं मशीनें चल रही हैं. केडीएच के करकट्टा स्थित आउटसोर्सिंग पैच पर ही उत्पादन की जिम्मेवारी है. पीओ राकेश कुमार ने बताया कि केडीएच पैच में 2000 एचपी का मोटर पंप लगाया गया है. लगातार पानी निकाला जा रहा है.
दामोदर के नीचे से गुजरा है चूरी खदान
चूरी अंडरग्राउंड माइंस दामोदर नदी के नीचे से पार होकर काफी आगे तक निकल गया है. एसओएम सेनगुप्ता का कहना है कि बरसात में दामोदर इस माइंस के लिए खतरे का कारण नहीं हो सकता. बताया कि दामोदर नदी के 90 मीटर नीचे से अंडरग्राउंड माइंस को ले जाया गया है. खदान का ऊपरी भाग हार्ड रॉक है.

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