वीरान पड़े हैं मैक्लुस्कीगंज के आम बागान

खलारी : क्लुस्कीगंज के जिन आम के बागीचों में हर वर्ष गहमागहमी रहती थी, वो आज वीरान पड़े हैं. इस वर्ष आम के पेड़ों पर बहुत कम फल लगे हैं. किसान जितेंद्र पांडेय ने बताया कि उनके 20 एकड़ के बागीचे में लंगड़ा, दुधिया लंगड़ा, दशहरी, किशुनभोग, बैगनफली, बम्बईया आदि किस्म के 350 आम के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2014 5:39 AM

खलारी : क्लुस्कीगंज के जिन आम के बागीचों में हर वर्ष गहमागहमी रहती थी, वो आज वीरान पड़े हैं. इस वर्ष आम के पेड़ों पर बहुत कम फल लगे हैं. किसान जितेंद्र पांडेय ने बताया कि उनके 20 एकड़ के बागीचे में लंगड़ा, दुधिया लंगड़ा, दशहरी, किशुनभोग, बैगनफली, बम्बईया आदि किस्म के 350 आम के पेड़ हैं. बागीचे के रख-रखाव पर काफी खर्च आता है. ऐसे में पेड़ों पर फल नहीं लगने से बहुत नुकसान हुआ है.

मैक्लुस्कीगंज के मिनहाज बंगला, बूथ फॉर्म, जागृति विहार, मेहता बागान, लाल बंगला, फादर मिशन बंगला सहित लगभग एक दर्जन आम के बागीचे हैं. इसके अलावे एंग्लो इंडियन के सभी बंगलों में आम के पेड़ लगे हुए हैं. उक्त बंगलों के मालिक कोलकाता समेत अन्य महानगरों में रहते हैं. बंगलों की देखरेख का खर्च केयर टेकर आम बेच कर निकालते हैं. मालूम हो कि अस्सी वर्ष पूर्व जब एंग्लो इंडियन परिवार मैक्लुस्कीगंज में बसे थे, जब उन्होंने आम और कृषि को अपनी आजीविका का साधन बनाया था. एक सीजन में मैक्लुस्कीगंज में एक करोड़ रुपये का आम का कारोबार होता है.

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