नदी व चुआं पर निर्भर हैं लोग आठ-10 दिन में एक बार होती है पानी की सप्लाई

चापाकल के गंदा पानी से बनाया जाता है एमडीएम खलारी : खलारी प्रखंड के हुटाप बस्ती में पानी की किल्लत है. बस्ती के अधिकतर चापाकल खराब हो गये हैं. कुओं का पानी पाताल पहुंच गया है. गांव के लोग पेयजल स्वच्छता विभाग को अनेक बार सूचित कर चुके हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय हुटाप परिसर के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2018 3:59 AM

चापाकल के गंदा पानी से बनाया जाता है एमडीएम

खलारी : खलारी प्रखंड के हुटाप बस्ती में पानी की किल्लत है. बस्ती के अधिकतर चापाकल खराब हो गये हैं. कुओं का पानी पाताल पहुंच गया है. गांव के लोग पेयजल स्वच्छता विभाग को अनेक बार सूचित कर चुके हैं. उत्क्रमित मध्य विद्यालय हुटाप परिसर के चापाकल से काफी मशक्कत करने के बाद गंदा पानी निकलता है. इसी पानी से मध्याह्न भोजन पकाया जाता है. उमवि के शिक्षक ने बताया कि पानी को लेकर संबंधित विभाग को कई बार कहा गया है. गांव के लोग सोनाडुबी नदी के बालू को खोद कर पानी निकालते हैं और इस्तेमाल में लाते हैं. वहीं बस्ती से सटे खेतों के बीच एक चुआं है, जिसे कुएं का रूप दे दिया गया है. यही ग्रामीणों का सहारा है.
गांव की महिलाएं यहीं से पानी ढोकर घर ले जाती हैं. हुटाप निवासी श्याम लोहरा ने बताया कि गांव में पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. गांव की अधिकतर आबादी हरिजन व आदिवासी की है. बुकबुका में लगे फिल्टर प्लांट सह जलमीनार से हुटाप तक पाइप लाइन बिछायी गयी है. लेकिन आठ-दस दिन में एक बार पानी की सप्लाई की जाती है. सीसीएल ने भी सीएसआर के तहत एक डीप बोर कर सबमर्सिबल पंप लगाया था, लेकिन यह योजना भी फेल हो गयी. ग्रामीणों ने फिल्टर प्लांट सह जलमीनार से हुटाप में नियमित पानी सप्लाई की मांग की है.
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