धधक रही बंद भूमिगत खदान
खलारी : करकट्टा की बंद भूमिगत कोयला खदानों में तेजी से आग धधक रहा है. इन खदानों की आग की लपटें अब बाहर निकलने लगी है. करीब चार दशक से ज्यादा समय से ये भूमिगत खदानें बंद हैं, लेकिन हवा के संपर्क में नहीं आने से अबतक खदान के कोयले के फेस में आग नहीं […]
खलारी : करकट्टा की बंद भूमिगत कोयला खदानों में तेजी से आग धधक रहा है. इन खदानों की आग की लपटें अब बाहर निकलने लगी है. करीब चार दशक से ज्यादा समय से ये भूमिगत खदानें बंद हैं, लेकिन हवा के संपर्क में नहीं आने से अबतक खदान के कोयले के फेस में आग नहीं लगी थी. तीन साल पहले केडीएच परियोजना के अंतर्गत इस इलाके में खुली खदान खोलने का निर्णय पर पहल शुरू हुआ. वीपीआर कंपनी को आउटसोर्सिंग के तहत यहां माइनिंग का काम दिया गया.
उद्देश्य था भूमिगत खदान में जो कोयला रह गया है, उसे निकालते हुए जमीन के और भी नीचे से कोयला निकालना. वीपीआर ने खुली खदान की शुरुआत की और इसी क्रम में भूमिगत खदान का कोयले का फेस हवा के संपर्क में आ गया. अपने प्राकृतिक गुण के कारण जमीन के अंदर खदान धधकने लगा. गर्मी तेज होने के कारण आग और भी फैल गयी है. करीब एक साल से वीपीआर ने अपना काम बंद कर दिया है. खुली खदान के ब्लास्टिंग के कारण खदान के आसपास जमीन की पकड़ ढीली हो गयी है.
नतीजा यह है कि भूमिगत खदान की आग छोटे ज्वालामुखी की तरह खदान से सटे ढीली पड़ी जमीन को चीर कर बाहर निकल रही है. रात में जमीन से बाहर निकलती आग की लपटे भयानक दिखाई देती है. नीचे से निकल रहे आग के अलावा कई जगह से धुआं निकल रहा है. धुआं के साथ दम घुटाने वाली गैस भी निकल रही है, जिसे उस जगह महसूस किया जा सकता है. आसपास करकट्टा-विश्रामपुर आवासीय कॉलोनी है. इसके अलावा जिस जगह आग की लपटें निकल रही हैं उससे थोड़ी ही दूर वनभूमि है. आग फैली तो कई पेड़ झुलस सकते हैं.