डकरा : चूरी को बंद कराने के लिए बैठक में आज प्रारूप तैयार करेंगे रैयत
डकरा : चूरी कोयला खदान में अपनी जमीन देनेवाले रैयत मंगलवार को धवैयाटांड़ में बैठक कर चूरी कोयला खदान को बंद कराने का प्रारूप तैयार करेंगे. बंद करने के पूर्व प्रशासन को पूरे वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा. चूरी के रैयत राजेश महतो, मोहन महतो, दीपक लोहार ने बताया कि पिछले 33 साल से हमलोग […]
डकरा : चूरी कोयला खदान में अपनी जमीन देनेवाले रैयत मंगलवार को धवैयाटांड़ में बैठक कर चूरी कोयला खदान को बंद कराने का प्रारूप तैयार करेंगे. बंद करने के पूर्व प्रशासन को पूरे वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा. चूरी के रैयत राजेश महतो, मोहन महतो, दीपक लोहार ने बताया कि पिछले 33 साल से हमलोग अपने हक और अधिकार की मांग कर रहे हैं.
1985 में जमीन देने के बाद हमारे परिवार का एक पीढ़ी नौकरी मांगते मांगते बूढ़ा हो गया, लेकिन प्रबंधन सुनने को तैयार नहीं है. सोमवार को महाप्रबंधक के आमंत्रण पर हम सभी ग्रामीण रैयत उनसे बात करने कार्यालय गये, लेकिन वे घंटों इंतजार कराने के बाद जीएम मात्र दो लोगों से बात करने को तैयार हो रहे थे, जबकि कई लोगों की जमीन सीसीएल ने ली है. इसी बात से नाराज रैयतों ने गांव में खदान बंद कराने को लेकर बैठक करने का निर्णय लिया.
अगर रैयतों को उसका हक अधिकार दिये बगैर चूरी खदान चालू हो गया तो भविष्य में सभी भूमिगत खदान के लिए जमीन देने वाले रैयतों को कुछ नहीं मिलेगा. क्योंकि चूरी सीसीएल का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तैयार हो रहा है. इस मौके पर और भी कई रैयत मौजूद थे.
नियम के दायरे में रह कर हर तरह की मदद को तैयार हैं: महाप्रबंधक : महाप्रबंधक एमके राव ने प्रभात खबर के प्रतिनिधि को बताया कि चूरी के ग्रामीण 33 साल पुरानी मांग को लेकर लगातर उग्र होकर वार्ता करना चाह रहे हैं. जबकि कंपनी के तय प्रावधान के अनुसार उन्हें हर तरह की मदद का भरोसा दिया जा रहा है. भीड़ में तरीके से बातचीत नहीं हो पाती है, यही वजह है कि उन्हें 2-4 आदमी के साथ बात करने को कहा गया था.
ग्रामीणों को बताया जा चुका है कि जितनी जमीन सीसीएल ने इस्तेमाल किया है, पहले उसका जो भी नौकरी बनती है वह प्रक्रिया पूरी कर लें. इसके बाद दूसरे फेज पर काम किया जायेगा. रैयतों के साथ प्रबंधन की पूरी सहानुभूति है. वे प्रबंधन का सहयोग करें, उन्हें हर तरह से मदद किया जायेगा.