खलारी : मेरा किसी उग्रवादी संगठन से कोई संबंध नहीं है, लेकिन झारखंड सरकार के एक मंत्री मुझे उग्रवादी बनाने पर तुले हुए हैं. उक्त बातें झारखंड विस्थापित प्रभावित प्रतिरोध मंच के भीखन गंझू ने कही.
वे बुधवार को बिचना गांव में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 1994 में कुछ माओवादी नेताओं ने मुझे यह कह कर संगठन में शामिल कर लिया कि सभी समस्याओं का समाधान यहीं से होगा. तब मेरी उम्र मात्र 10 वर्ष थी. वर्ष 1999 में मोह भंग होने के बाद मैंने संगठन छोड़ दिया.
कुछ दिन तक रोजी-रोटी की तलाश में इधर-उधर भटकता रहा. दो-तीन साल बाद फौज में जाने का प्रयास किया, लेकिन बहाली नहीं हुई. इसके बाद गुजरात चला गया. संगठन छोड़ने के बाद से माओवादी मुझे मारने के लिए खोजने लगे. जान बचाने के लिए टीपीसी में शामिल हो गया.
वर्ष 2010 में पुलिस ने बिजन स्थित घर से मुझे पकड़ कर जेल भेज दिया. वर्ष 2012 में जेल से छूटने के बाद से अपने घर में ही हूं. झारखंड विस्थापित प्रभावित प्रतिरोध मंच बना कर कोयला खदानों के चलते उजड़ रहे विस्थापितों को हक दिला रहा हूं. मेरे प्रयास से पिपरवार, अशोका व पुरनाडीह परियोजना में लगभग एक हजार लोगों को सीसीएल में नौकरी मिली है.
मैं हमेशा सीसीएल व पुलिस प्रशासन को सहयोग करता हूं. इधर, झारखंड के एक मंत्री पिपरवार क्षेत्र में रंगदारी के लिए अपनी पैठ बनाने में लगे हैं. विस्थापितों ने जब इसका विरोध किया, तो मंत्री मुझे उग्रवादी बता रहे हैं. श्री भीखन ने कहा कि अगर मैं उग्रवादी हूं प्रशासन मुझे जेल भेज दे, अन्यथा मंत्री के बयान पर रोक लगाये. उन्होंने कहा कि जनता जल्द ही मंत्री की पोल खोलेगी.
उक्त मंत्री स्वयं झारखंड टाइगर ग्रुप के सरगना हैं. रंगदारी व अपहरण का धंधा कर रहे हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री को इसकी जांच करानी चाहिए.