रांची : आंदोलनकारियों को लेकर उदासीन है सरकार
झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा ने सरकार को 15 नवंबर तक का दिया अल्टीमेटम, कहा रांची : झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा ने कहा है कि सरकार अांदोलनकारियों के प्रति उदासीन है़ रविवार को मोरहाबादी स्थित संगम गार्डन सभागार में हुए मोर्चा के सम्मेलन में पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो, पूर्व सांसद सूरज मंडल, पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा, संयोजक […]
झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा ने सरकार को 15 नवंबर तक का दिया अल्टीमेटम, कहा
रांची : झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा ने कहा है कि सरकार अांदोलनकारियों के प्रति उदासीन है़ रविवार को मोरहाबादी स्थित संगम गार्डन सभागार में हुए मोर्चा के सम्मेलन में पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो, पूर्व सांसद सूरज मंडल, पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा, संयोजक मुमताज अहमद खान, सुनील फकीरा कच्छप व अन्य ने कहा कि शहीदों के आश्रितों, बीमार व भूखे आंदोलनकारियों को मुआवजा, पेंशन व इलाज के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं, जबकि वह व्यापारियों व अन्य लोगों को पेंशन दे रही है़ विधायकों व अधिकारियों को मुफ्त आवास और जमीन दे रही है़ यदि 15 नवंबर तक मोर्चा की नौ सूत्री मांगें पूरी नहीं की गयीं, तो उग्र आंदाेलन चलाया जायेगा़
सात साल में सिर्फ 3700 चिह्नित : उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितकरण आयोग को 60,000 आवेदन मिले, जिसमें से अभी तक 3700 आंदोलनकारियों को ही चिह्नित किया गया है़
उसमें भी सिर्फ जेल जाने वाले एक हजार अांदाेलनकारियों को तीन हजार रुपये मासिक पेंशन दी गयी है़ सरकार ने 11 जुलाई 2018 को सभी उपायुक्तों को पत्र लिख कर चिह्नित आंदोलनकारियों को अगस्त 2015 से बकाया पेंशन एकमुश्त देने और सभी आंदोलनकारियों को जिलावार सम्मानित करने का निर्देश दिया था, पर इसका पालन नहीं किया जा रहा है़ आयोग ने सात वर्षों में भी अपना काम पूरा नहीं किया है़
सम्मेलन में नज्म अंसारी, मौ फैजी, पुष्कर महतो, विमल कच्छप, शफीक आलम, सुशीला एक्का, सुखदेव हेम्ब्रम, बाबूराम मुर्मू, मोइन अंसारी, मो जुबैर, एतवा उरांव, अजीत विश्वकर्मा, अनवर खान, संजीव रंजन, प्रदीप शर्मा, दिवाकर साहू, शिवशंकर महतो, सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे़
ये है मांगें : सरकार हर आंदोलनकारी के लिए 15 नवंबर से पहले 20 हजार रुपये पेंशन, शहीदों के आश्रितों को दस लाख रुपये का मुआवजा और इलाज के लिए कम से कम 60 करोड़ रुपये आवंटित करे, शहीदों के आश्रितों को 15 दिनों के अंदर योग्यतानुसार नियुक्ति दे, आयोग आंदोलनकारियों की जल्द पहचान कर उनकी सूची जारी करे, सभी आंदोलनकारियों को, चाहे वे जेल में रहे हाें या नहीं, सभी को एक ही कोटि में रखा जाये, भूमि अधिग्रहण कानून में झारखंड संशोधन अविलंब वापस लिया जाये, 1932 के खतियान या अंतिम सर्वे को आधार मान कर स्थानीयता नीति बने, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां में शत-प्रतिशत खतियानी लोगों की नियुक्ति की जाये
आंदोलनकारियों को उनके शहर में आवास के लिए भूखंड अथवा सरकारी आवास और उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाये, आंदोलनकारियों के नाम से स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, मुख्य सड़क व चौक- चौराहों का नामकरण किया जाये, पाठ्यक्रम में आंदोलनकारियों की संघर्ष गाथा शामिल की जाये़