पत्थलगड़ी : मुकदमे के डर से गांव छोड़ चुके हैं कई लोग, हेमंत सरकार के केस वापस लेने से लोगों के चेहरों पर लौटी मुस्कान

राजधानी रांची के सीमावर्ती जिले खूंटी और आसपास के इलाकों के कई गांवों में वर्ष 2017-18 में आदिवासियों ने पत्थलगड़ी कर ‘अपना शासन, अपनी हुकूमत’ की बात कही. पुलिस-प्रशासन के कानों तक यह बात पहुंची, तो कार्रवाई शुरू की गयी. इस दौरान कई गांवों में पुलिसवालों को बंधक बनाने की घटनाएं भी सामने आयीं. दर्जन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2019 6:59 AM

राजधानी रांची के सीमावर्ती जिले खूंटी और आसपास के इलाकों के कई गांवों में वर्ष 2017-18 में आदिवासियों ने पत्थलगड़ी कर ‘अपना शासन, अपनी हुकूमत’ की बात कही. पुलिस-प्रशासन के कानों तक यह बात पहुंची, तो कार्रवाई शुरू की गयी.

इस दौरान कई गांवों में पुलिसवालों को बंधक बनाने की घटनाएं भी सामने आयीं. दर्जन भर ग्राम प्रधानों, आदिवासी महासभा के नेताओं और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. तत्कालीन रघुवर सरकार ने कहा कि पत्थलगड़ी की आड़ में कुछ लोग आदिवासियों को बरगला कर राज्य का विकास रोक रहे हैं. इस मामले में कई लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज किया. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी नयी सरकार ने कैबिनेट की पहली ही बैठक में पत्थलगड़ी आंदोलन में शामिल लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणा कर दी.

प्रभात खबर की टीम ने इस पर संबंधित इलाकों के लोगों की प्रतिक्रिया और क्षेत्र की मौजूदा िस्थति का जायजा लिया. साथ ही विशेषज्ञों से सरकार द्वारा मुकदमा वापस लेने की प्रक्रिया की भी जानकारी ली. प्रस्तुत है पत्थलगड़ीवाले इलाकों की जमीनी हकीकत की पड़ताल करती खूंटी से चंदन कुमार और रांची से प्रणव और राणा प्रताप की यह रिपोर्ट.

हेमंत सोरेन के नेतृत्ववाली महागठबंधन की सरकार ने कार्यभार संभालते ही पत्थलगड़ी मामले में दर्ज केस वापस लेने की घोषणा कर दी है. इस खबर से प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के चेहरों पर मुस्कान लौट आयी है. पत्थलगड़ी को लेकर पुलिसिया कार्रवाई से तंग आ चुके ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है, लेकिन उनमें संशय भी है. उनका सवाल है : क्या यह फैसला धरातल पर उतरेगा? हालांकि, कई लोग इस मुद्दे पर अपनी राय देने से बचते दिखे.

घाघरा के एक ग्रामीण ने कहा : पुलिस अब भी हम पर शक करती है. कई बार रात में आकर परेशान करती थी. घाघरा के कई ग्रामीण महीनों से गांव से बाहर हैं. एक साल से खेती भी नहीं हो पा रही है.

हम सिर्फ पांचवीं अनुसूची को लागू करने की मांग कर रहे थे, जिसे सरकार ने देशद्रोह बता दिया. अगर नयी सरकार ने केस वापस लेने का फैसला लिया है, तो यह अच्छा फैसला है. जो भी फैसला हुआ है, उसे लागू होता देखेंगे, तभी मानेंगे. वहीं एक ग्रामीण ने कहा : हमारी मांग थी कि योजनाओं की राशि सीधे ग्राम सभा को मिले. सरकारी अधिकारी राशि का गबन करते हैं. केस वापस लेने के बाद आगे क्या करना है, इसका फैसला ग्राम सभा में लिया जायेगा. एक ग्रामीण का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उन लोगों को राहत मिलेगी, जिनके पास केस लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं.

पत्थलगड़ी मामले में अब तक हुई कार्रवाई

23 केस दर्ज हुए थे खूंटी जिले में

19 मामलों में देशद्रोह का आरोप

172 लोगों को आरोपी बनाया था पुलिस ने पत्थलगड़ी आंदोलन में

94 पर देशद्रोह का केस चलाने की स्वीकृति दी थी सरकार ने

24 से अधिक आरोपियों के खिलाफ कुर्की जब्ती की गयी है

48 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट किया था खूंटी पुलिस

45 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है पुलिस

क्या है धारा 124ए :अगर कोई व्यक्ति देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचानेवाली गतिविधि को सार्वजनिक रूप से अंजाम देता है, तो यह धारा 124ए (देशद्रोह) के अधीन आता है.

ऐसे वापस होंगे दायर मामले

झारखंड हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ता व झारखंड स्टेट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष पीसी त्रिपाठी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-321 के तहत सरकार अपने लंबित केस को वापस ले सकती है. सरकार के वकील कोर्ट में केस वापस लेने संबंधी आवेदन देंगे, जिस पर कोर्ट फैसला करेगा.

सीआरपीसी की धारा-224 के तहत सरकार सजा होने के बाद भी मामला वापस ले सकती है. वहीं, एडवोकेट एसोसिएशन झारखंड हाइकोर्ट के पूर्व अध्यक्ष व वरीय अधिवक्ता एके कश्यप ने बताया कि सरकार केस वापस ले सकती है. इसके लिए कोर्ट में आवेदन देना होगा, जिस पर अदालत गुण-दोष के आधार पर फैसला करेगी. सरकार का निर्णय कोर्ट मान ही लेगा, एेसी कोई बाध्यता नहीं है.

इन लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी

विजय कुजूर, कृष्णा हांसदा, बिरसा पहान, बाजू पहान, राकेश लोहरा, सुभाष चंद्र मुंडा, उमेश दास गोस्वामी, छोटू नायक, चरा पहान, नागेश्वर मुंडा, अभिषेक कुमार, सुखराम मुंडा, कार्तिक महतो, मंगल मुंडा, विसन सोय मुरूम, फादर अल्फोंस आइंद, अयूब सांडी पूर्ति, आशीष लोंगा, लक्ष्मण मुंडा, सुरेंद्र नाथ समद, नेता नाग, मोगो सिबीयन बोदरा, बलराम समद, जुनास मुंडू, दुर्गा मुंडा, प्रभु सहाय मुंडा, सुखराम मुंडा, बाजी समद, जाॅन जुनसा तिड़ू, सनिका मुंडू, बुधराम मुंडू, पौलुस टूटी, ठकुरा मुंडा, करम सिंह मुंडा, लेवो एग्नेस, बैजनाथ पहान, कोंता मुंडा, विजय आदि शामिल हैं. वहीं कई बड़े आरोपी अब भी फरार हैं, जिसमें बबीता कच्छप, बाल गोविंद तिर्की, यूसुफ पूर्ति, नथनियल मुंडा सहित अन्य शामिल हैं.

आदिवासी देशद्रोही नहीं हो सकता : डॉ रामेश्वर

मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि देश की आजादी में आदिवासियों ने अहम भूमिका निभायी थी. स्वतंत्रता आंदोलन व संताल विद्रोह में झारखंड के हजारों आदिवासियों ने कुर्बानी दी है. आदिवासी कभी देशद्रोही नहीं रहा है और न हो सकता है. लोकतांत्रिक तरीके से डीसी व एसपी का घेराव

करने पर देशद्रोह का मुकदमा दायर करना गलत है.

पत्थलगड़ी मामले में केस वापस लेने का फैसला अच्छा है. इससे आदिवासियों के संस्कृति को बचाने में मदद मिलेगी.

– कजरू मुंडा, घाघरा

घाघरा में आठ-नौ लोगों पर प्राथमिकी हुई है. एक व्यक्ति जेल भी गया है. अगर सरकार ने यह फैसला लिया है, तो अच्छा है.

डेवा मुंडा, घाघरा

आदिवासी अपनी परंपरा के अनुसार पत्थलगड़ी कर रहे थे. संविधान की बातें लिखी गयी थीं. अब फैसले से आदिवासी खुश हैं.

करमा भेंगरा, कुदाडीह

सरकार ने बहुत अच्छा निर्णय लिया है. कई लोग ऐसे हैं, जिनके पास केस लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं. उनका भला हो जायेगा.

प्रतिमा कुमारी, कुदाडीह

यह फैसला उन गरीब आदिवासियों के हित में है, जो केस नहीं लड़ सकते. हम सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हैं.

हरिहर सिंह मुंडा, घाघरा

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