आज भी गांवों में होती है परंपरागत खेती

सिल्ली : आज के वैज्ञानिक युग में कई गांव के लोग हल-बैल से ही खेती करना पसंद करते हैं. जबकि खेत जोतने से लेकर फसल काटने की मशीन उपलब्ध है. कई किसान इसे सस्ता और उपयोग में सरल मानते हैं. क्या है कारण किसानों के अनुसार हल-बैल से खेतों की जुताई करना ट्रैक्टर की तुलना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:55 PM

सिल्ली : आज के वैज्ञानिक युग में कई गांव के लोग हल-बैल से ही खेती करना पसंद करते हैं. जबकि खेत जोतने से लेकर फसल काटने की मशीन उपलब्ध है. कई किसान इसे सस्ता और उपयोग में सरल मानते हैं.

क्या है कारण

किसानों के अनुसार हल-बैल से खेतों की जुताई करना ट्रैक्टर की तुलना में कम खर्चीला होता है. इन दिनों ट्रैक्टर से खेतों की जुताई करने पर प्रति घंटा 800 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. ऐसे में जिन लोगों के पास हल बैल है, वे इसी से खेतों की जुताई करना पसंद करते हैं.

ट्रैक्टर से जुताई करना उन क्षेत्रों में फायदेमंद होता है, जहां बड़े भू-भाग में जुताई करनी होती है, लेकिन छोटे किसानों (जिनके पास जमीन कम है) के लिए हल-बैल ही उपयुक्त हैं. एक और कारण है दलदल भूमि. दलदल भूमि में ट्रैक्टर से जुताई करना मुश्किल काम है, जबकि हल बैल से जुताई आसानी से हो सकती है.

गांव से दूर खेतों में ट्रैक्टर से खाद बीज सहित अन्य सामान ले जाने के लिए क्यारियों को काटना पड़ता है, जबकि बैलगाड़ी से आसानी व बिना खर्च के ले जाया जा सकता है.

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