15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लोक आस्था पर आघात घातक

मेदिनीनगर : राज्य के पूर्व मुख्य सचिव एके सिंह ने कहा कि निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार वर्तमान परिवेश में प्रजातांत्रिक व्यवस्था में चुनौती बन गया है. जहां से लोक आस्था व विश्वास जुड़ा होता है, वहां यदि भ्रष्टाचार की लपटें पहुंचती हैं, तो लोक आस्था व विश्वास टूटता है. आक्रोश पनपता है. इन्हीं वजहों से […]

मेदिनीनगर : राज्य के पूर्व मुख्य सचिव एके सिंह ने कहा कि निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार वर्तमान परिवेश में प्रजातांत्रिक व्यवस्था में चुनौती बन गया है. जहां से लोक आस्था विश्वास जुड़ा होता है, वहां यदि भ्रष्टाचार की लपटें पहुंचती हैं, तो लोक आस्था विश्वास टूटता है.

आक्रोश पनपता है. इन्हीं वजहों से आज देश के अंदर उग्रवाद की समस्या बढ़ी है. लोक आस्था न्यायपालिका, आइएएस अफसर, राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं से जुड़ी होती है. आमलोग यह समझते हैं कि उस कुरसी पर बैठा आदमी उनके साथ न्याय करेगा. पर जब वहां भी भ्रष्टाचार दिखता है, तो लोगों के मन में निराशा होती है.

इस स्थिति को रोकना जरूरी है. यह तभी संभव है, जब सामाजिक जागरूकता आये और विरोध की प्रवृत्ति जागृत हो. पूर्व मुख्य सचिव डॉ सिंह यूजीसी संपोषित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. संगोष्ठी का विषय थाभ्रष्टाचारसामाजिक, नैतिक सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में.

आयोजन अग्रसेन भवन में किया गया है. इसका समापन शुक्रवार को होगा. संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति डॉ फिरोज अहमद ने की. संचालन नीलांबरपीतांबर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रभारी डॉ कुमार वीरेंद्र ने किया. संगोष्ठी में पूर्व मुख्य सचिव ने कहा कि ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय नहीं हैं.

पर इस उपाय की ओर कारगर पहल नहीं होती. प्रशासनिक शक्तियों को विकेंद्रीकरण कर यदि उन्हें काम करने की छूट दी जाये, तो बेहतर रिजल्ट भी सामने आयेगा.

यह जनता के कमजोर मनोबल का ही प्रतिफल है कि भ्रष्टाचार फूल रहा है. लोगों ने एक तरह से भ्रष्टाचार को जैसे स्वीकार कर लिया है. इसलिए तो सरकारी कार्यालयों में जाकर लोग काम के एवज में पैसे देते हैं.

जबकि होना यह चाहिए कि लोग इसकी मुखालफत करें. उन्होंने कहा कि आज समाज के अंदर जो माहौल बना है, वह भी भ्रष्टाचार को बढ़ा रहा है. समाज के अंदर वैसे लोगों को प्रतिष्ठा मिल रही है, जिनके पास अकूत संपत्ति है. जबकि जरूरत है इस बात की कि किसी भी व्यक्ति को प्रतिष्ठा देने से पहले उसकी योग्यता और पृष्ठभूमि का ख्याल रखा जाये. यदि पैसे के आधार पर गुणदोष का आकलन होगा, तो निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें