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‘मैक्लुस्कीगंज’ उपन्यास का हुआ अंगरेजी अनुवाद

खलारी : मैक्लुस्कीगंज एकबार फिर चर्चा में है़ इस बार कारण मैक्लुस्कीगंज के चर्चा का कारण यहां रहनेवाले एंग्लो इंडियन परिवार नहीं, बल्कि उन पर विकास कुमार झा द्वारा रचित उपन्यास ‘मैक्लुस्कीगंज’ का अंगरेजी अनुवाद है़ पटना विश्वविद्यालय की अवकाशप्राप्त अंगरेजी विभागाध्यक्षा महाश्वेता घोष ने हिंदी उपन्यास का अंगरेजी में अनुवाद किया है. उपन्यास के […]

खलारी : मैक्लुस्कीगंज एकबार फिर चर्चा में है़ इस बार कारण मैक्लुस्कीगंज के चर्चा का कारण यहां रहनेवाले एंग्लो इंडियन परिवार नहीं, बल्कि उन पर विकास कुमार झा द्वारा रचित उपन्यास ‘मैक्लुस्कीगंज’ का अंगरेजी अनुवाद है़
पटना विश्वविद्यालय की अवकाशप्राप्त अंगरेजी विभागाध्यक्षा महाश्वेता घोष ने हिंदी उपन्यास का अंगरेजी में अनुवाद किया है. उपन्यास के मुख्य पृष्ठ पर मैक्लुस्कीगंज निवासी केटी टेक्सरा (किटी मेमसाब) की तस्वीर और चिकित्सक सह लेखक हांसदा सौवेंद्र शेखर के विचार हैं.
अंगरेजी अनुवाद का प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक हार्पर पेरेनियल ने किया है. मालूम हो कि 27 जून 2011 में ‘मैक्लुस्कीगंज’ उपन्यास के लेखक विकास कुमार झा को ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन में इंदु शर्मा कथा सम्मान से सम्मानित किया गया था़

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