ओके:::जिस रूप में माता की पूजा करेंगे, माता उसी रूप में साथ होंगी

ओके:::जिस रूप में माता की पूजा करेंगे, माता उसी रूप में साथ होंगी फोटो 1खूंटी : 13 अक्तूबर से नवरात्र शुरू है. इसकी तैयारी में सभी भक्तिभाव से जुटे हैं. सभी पूजा पंडालों में इसकी तैयारी जोरों से हो रही है.क्या है नवरात्र : चैत्र एवं आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2015 9:09 PM

ओके:::जिस रूप में माता की पूजा करेंगे, माता उसी रूप में साथ होंगी फोटो 1खूंटी : 13 अक्तूबर से नवरात्र शुरू है. इसकी तैयारी में सभी भक्तिभाव से जुटे हैं. सभी पूजा पंडालों में इसकी तैयारी जोरों से हो रही है.क्या है नवरात्र : चैत्र एवं आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन को नवरात्र माना गया है. वैसे वर्ष में चार नवरात्र आते हैं, पर लोगों में दो नवरात्र ही महत्व रखते हैं वासंती और शारदीय.नौ दिन ही क्यों : मान्यता है, मां दुर्गा में नौ विद्या हैं. इसलिये उनकी उपासना नौ दिनों तक की जाती है. इन नौ दिनों में देवी का शृंगार भी अलग-अलग होती है. प्रतिपदा को केश शृंगार सामग्री सुगंधित आवला तेल, द्वितीय को बाल बांधने की रेशम चोटी व फीता, तृतीय तिथि को सिंदूर एवं शीशा, चतुर्थी को तिलक, काजल, पंचमी को उबटन, चंदन, षष्ठी को पुष्प देवी को समर्पित किया जाता है. दशमांश हवन, तर्पण, मार्जनख एवं ब्राह्मणों को भोजन करा कर नवरात्र की समाप्ति होती है. दसवें दिन विसर्जन के पश्चात नवरात्र को समाप्त माना जाता है.नौ कन्याओं की पूजा : नौ कन्याओं की पूजा के अलग-अलग महत्व है. एक कन्या की पूजा से एश्वर्य की, दो की पूजा से मोक्ष, तीन की पूजा से धर्म, अर्थ की, चार की पूजा से राज्य पद की, पांच की पूजा से विद्या, छह की पूजा से षष्ट कर्म सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से सुख-संपदा एवं नौ की पूजा से संपूर्ण पृथ्वी पर प्रभुत्व की प्राप्ति होती है.

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