नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ शुरू…ओके
नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ शुरू…ओकेफोटो 1़ प्रसाद बनाती व्रती.फोटो 2़ सूप की बिक्री खूब हुई खूंटी. कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, बाट जे पूछे ला बटोहिया बहंगी केकरा के जाय… जैसे छठी मइया के पारंपरिक गीतों से खूंटी के गली-मोहल्ले गुंजायमान हैं. रविवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो […]
नहाय-खाय के साथ महापर्व छठ शुरू…ओकेफोटो 1़ प्रसाद बनाती व्रती.फोटो 2़ सूप की बिक्री खूब हुई खूंटी. कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, बाट जे पूछे ला बटोहिया बहंगी केकरा के जाय… जैसे छठी मइया के पारंपरिक गीतों से खूंटी के गली-मोहल्ले गुंजायमान हैं. रविवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो गया. छठ घाटों की साफ-सफाई का काम जोर-शोर से चल रहा है. व्रती बाजार से सूप, दउरा व पूजन सामग्री की खरीदारी कर रहे हैं. 17 नवंबर को छठ व्रती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे. 18 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ त्योहार संपन्न हो जायेगा. खरना का विशेष महत्व है : पहले दिन नहाय-खाय से आत्म शुद्धि के बाद आत्म शक्ति बढ़ाने के लिये दूसरे दिन खरना का विधान होता है. इस दिन व्रती दिन भर उपवास रख कर शाम में भगवान की पूजा कर उन्हें नौवेद्य अर्पित करते हैं. सूर्य के अस्त होने के बाद व्रती भगवान का ध्यान करते हैं और उन्हें नौवेद्य स्वरूप खीर- रोटी, केला आदि चढ़ाते हैं. पूजा के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं तथा दूसरों के बीच बांटते हैं. खरना संपन्न होने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.