लंबे संघर्ष के बाद गांव को मिली सत्ता : भगत

300 जरूरतमंदों को मिला कंबल डकरा : लोकतंत्र में जरूरी नहीं कि सभी काम सरकार ही करें. आधी आबादी को पूरी आबादी का नेता बनना होगा. जल, जंगल व जमीन को बचाने की नीति बनानी होगी. शिक्षा व स्वास्थ सभी लोगों को एक समान मिले, तभी देश ताकतवर बनेगा. उक्त बातें पद्मश्री सह विकास भारती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 6, 2016 8:46 AM
300 जरूरतमंदों को मिला कंबल
डकरा : लोकतंत्र में जरूरी नहीं कि सभी काम सरकार ही करें. आधी आबादी को पूरी आबादी का नेता बनना होगा. जल, जंगल व जमीन को बचाने की नीति बनानी होगी. शिक्षा व स्वास्थ सभी लोगों को एक समान मिले, तभी देश ताकतवर बनेगा. उक्त बातें पद्मश्री सह विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने कही. वे मंगलवार को डकरा में जीवन ज्योती सोसाइटी द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि देश के हुनर को एक साजिश के तहत समाप्त किया गया है. कभी हमारे देश के बुनकर, बढ़ई व लोहार के काम की विदेशों में चर्चा होती थी. महात्मा गांधी और विनोवा भावे जैसे राष्ट्र चिंतकों ने सभी को दक्ष बनाने की बात कही थी, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया.
देश की सामाजिक परंपरा और सामाजिक संस्थाएं बिखर रही है. लंबे संघर्ष के बाद गांव को सत्ता मिली है. ग्रामीण ईमानदारी से काम करें, तो खोई हुई प्रतिष्ठा को हासिल किया जा सकता है. इसके पूर्व अशोक भगत ने खलारी प्रखंड के नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मानित किया. साथ ही 300 जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण किया गया.
कार्यक्रम का संचालन एके पाठक व धन्यवाद ज्ञापन ओमप्रकाश शर्मा ने किया. इस अवसर पर मिथिलेश प्रजापति, सुनील रजवार, एके सिंह, रामविलास भारती, विमल महतो, नागेश्वर महतो, इंदिरा देवी, अनुराधा सिंह अन्नु, उषा देवी, मनोज कुमार, मुन्ना सिंह, पप्पू सिंह, भीम यादव, बबली सिंह, राजकुमार गंझू, राजेश साव, आनंद तुरी, रणविजय सिंह, ओमप्रकाश ठाकुर, उतरा कुमार, अमरलाल सतनामी, छवि आदि मौजूद थे.
पद के लिए बोली लगाना शर्मनाक : पद्मश्री
जिला परिषद अध्यक्ष, प्रमुख और उप मुखिया बनने के लिए लगायी जा रही बोली बहुत शर्मनाक व चिंताजनक है.मैं मुख्यमंत्री से मिल कर बात करुंगा, ताकि ऐसा न हो. उक्त बातें पद्मश्री अशोक भगत ने डकरा में पत्रकारों से बातचीत के क्रम में कही. उन्होंने कहा कि गांव की सरकार अगर बिकने लगी, तो पंचायत चुनाव का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जायेगा. लोकतंत्र की जड़ गांवों में है. उसे ईमानदार होना चाहिए.

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