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कहीं दवा नहीं, तो किसी जगह डॉक्टर का ही पता नहीं

नहीं है व्यवस्था, कैसे चले सेंटर : स्टेट को-अॉर्डिनेटर मंत्री ने कहा : दो माह में सुधर जायेगी स्थिति राज्य में केंद्र की योजना की स्थिति खराब मार्च 2016 तक आठ अन्य जिलों में होना है शुरू पर बिना सुविधा के शुरू होनेपर है संशय जीवेश रांची : नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के तहत राज्य […]

नहीं है व्यवस्था, कैसे चले सेंटर : स्टेट को-अॉर्डिनेटर
मंत्री ने कहा : दो माह में सुधर जायेगी स्थिति
राज्य में केंद्र की योजना की स्थिति खराब
मार्च 2016 तक आठ अन्य जिलों में होना है शुरू
पर बिना सुविधा के शुरू होनेपर है संशय
जीवेश
रांची : नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के तहत राज्य के चार जिलों में चल रहे मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति खराब है. वित्त वर्ष 2010-11 में जमशेदपुर, दुमका, पलामू व गुमला में चल रहे इन केंद्रों में छह वर्ष बाद भी पूरी व्यवस्था नहीं हो पायी है. गुमला में तो सेंटर के शुरू होते ही वहां के मनोचिकित्सक ने नौकरी छोड़ दी थी. अन्य तीन जिलों में चिकित्सक तो हैं, पर सुविधाओं की कमी है. सेंटर पर आनेवाले मरीज का सही इलाज नहीं हो पाता.
नियमत: इन केंद्रों पर मरीजों को भरती करने के साथ-साथ बाहर रेफर करने के लिए एंबुलेंस की सुविधा रहनी थी, पर हालत यह है कि कई जगह पर लेटने की भी जगह नहीं है. दवा भी बाहर से खरीदनी पड़ती है. दुमका स्थित स्वास्थ्य केंद्र में एक साल से दवा नहीं है, तो गुमला में भी पिछले वर्ष की दवा से ही काम चलाया जा रहा है. गुमला में हर हफ्ते बुधवार को रिनपास, रांची से एक मनोचिकित्सक आते हैं. अन्य दिन यहां के मरीज स्थानीय व्यवस्था के भरोसे रहते हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति जमशेदपुर व पलामू की भी है.
जानकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अन्य आठ जिलों में भी ऐसे केंद्र शुरू करने हैं, पर पहले से चल रहे चार केंद्रों की स्थिति को देखते हुए इस पर संशय है. दूसरी ओर नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के स्टेट को-अॉर्डिनेटर डॉ आरपी गुप्ता इस स्थिति के लिए हालात को दोषी ठहराते हैं. पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि न आदमी हैं और न ही दवा, फिर कैसे चले सेंटर. पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी निराश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही सब ठीक हो जायेगा.

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