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तीन वर्षों में भी नहीं खुला सील

दस्तावेज नष्ट होने के कगार पर खूंटी : खूंटी में जिला प्रशासन ने वर्ष 2013 में 13 ननबैकिंग संस्था के कार्यालय को सील किया था. आज तीन वर्ष से ज्यादा हो गये हैं. प्रशासन उक्त चिटफंड कंपनियों के दफ्तर का सील तोड़ कर अनुसंधान करना जरूरी नहीं समझा. अब सील किये गये कार्यालयों के अधिकतर […]

दस्तावेज नष्ट होने के कगार पर

खूंटी : खूंटी में जिला प्रशासन ने वर्ष 2013 में 13 ननबैकिंग संस्था के कार्यालय को सील किया था. आज तीन वर्ष से ज्यादा हो गये हैं. प्रशासन उक्त चिटफंड कंपनियों के दफ्तर का सील तोड़ कर अनुसंधान करना जरूरी नहीं समझा. अब सील किये गये कार्यालयों के अधिकतर ताले में लगा सील टूट चुका है.

कई संस्था के कार्यालय खपरैल है. बरसात में पानी कार्यालय के अंदर चला गया है. ऐसे में दस्तावेज भी सुरक्षित नहीं रह गया है.

मकान मालिक परेशान : मकान मालिक किराये में उक्त कार्यालयों को दिया है. सील होने के कारण उन्हें किराया भी नहीं मिल रहा है. वहीं लंबे समय से कार्यालय बंद होने से भवन भी जर्जर होने लगा है.

बेरोजगार युवक : राशि उगाही वैसे बेरोजगार युवकों के जरिये किया गया, जिनकी उनके गांव में पहचान है. राशि जमा करनेवालों में उनके परिचित व रिश्तेदारों की संख्या ज्यादा है. युवकों को अच्छी कमीशन का प्रलोभन दिया गया और ये युवक अपने समाज व रिश्तेदारों से चिट फंड कंपनी में राशि जमा कराया है.

नन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ क्या करें : राशि जमा करने पर वापसी नहीं हुई, ऐसे में कंपनी लॉ बोर्ड, उपभोक्ता फोरम, आरबीआइ, स्थानीय पुलिस या राज्य के वित्त विभाग के सचिव के पास शिकायत दर्ज कराया जा सकता है.

क्या है कंपनी विधि बोर्ड की भूमिका व पता : नन बैंकिंग कंपनियां भुगतान करने में विफल रहें तो कंपनी लॉ बोर्ड (सीएलबी) स्वत: या जमाकर्ता की शिकायत पर मामले की सुनवाई कर सकता है. झारखंड के जमाकर्ता कंपनी लॉ बोर्ड के दिल्ली केंद्रीय कार्यालय या क्षेत्रीय कार्यालय में शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

नन बैंकिंग कंपनी की करें जांच : रिजर्व बैंक ने देश में केवल 257 नन बैंकिंग कंपनियों को ही सार्वजनिक जमा लेने की अनुमति दी है. झारखंड में एक भी कंपनी नहीं जिसे अनुमति प्राप्त है. आरबीआइ की साइट पर नन बैंकिंग कंपनियों की सूची उपलब्ध है.

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