प्रतिनिधि, खूंटी कर्रा के बिकुवादाग में मंडा पूजा शुक्रवार को संपन्न हो गया. चार दिनों तक चले शिव अनुष्ठान में 178 भगतिया पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ लीन रहे. भगतिया कई कष्टदायक अनुष्ठानों को पूरा कर भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास किया. इस क्रम में भगतियाें ने कठिन साधना की. अनुष्ठान के अंतिम दिन शुक्रवार को भगतियों ने झूलन किया. जिसमें लगभग 20 फीट ऊंचे खंभे से झूलकर झूलन विधि को संपन्न किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और झूलन देखा. झूलन करते हुए भगतियों ने श्रद्धालुओं के बीच आस्था के फूल बरसाये. जिसे पाने के लिए लोगों में होड़ मची रही. इससे पहले गुरुवार की रात को धुआंसी और फूलखुंदी अनुष्ठान पूरा किया गया. फूलखुंदी के तहत शिवभक्तों ने नंगे पाव दहकते अंगारों पर चलकर अपनी भक्ति और आस्था का परिचय दिया. बिकुवादाग में 300 साले से अधिक समय से मंडा पूजा का आयोजन हो रहा है. गांव के दिलीप शर्मा, सच्चिदानंद शर्मा और अश्विनी शर्मा बताते हैं कि संभवतः बिकुवादाग का मंडा इस क्षेत्र का सबसे पुराना शिव भक्ति का सबसे प्राचीन अनुष्ठान है. गांव में मंडा पूजा न सिर्फ बड़े, बल्कि छोटे-छोटे बच्चे भी चार दिनों तक घर छोड़कर और निराहार रहकर भगवान भोलेनाथ की आराधना करते हैं. निधिया गांव के रंजीत महतो जो पिछले 60 वर्षों से लगातार भोक्ता बनकर मंडा अनुष्ठान करते हैं. इस बार उनके दो नन्हें पोते छह वर्षीय अभिनय महतो और आठ वर्षीय अंश महतो ने भी मंडा पूजा के सभी अनुष्ठान पूरे किये. दो बच्चों के साथ अन्य बच्चों ने भी दहकते अंगारों में नंगे पांव चलकर और 20 फीट की ऊंचाई पर झूलकर कर अपनी आस्था, निष्ठा और विश्वास का परिचय दिया.
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