अलबर्ट एक्का के कब्र के पास ही दफन किये गये हैं रेजन गुड़िया और प्रभुदान हेमरोम
परिजनों की इच्छा, कोई उनके कब्र की मिट्टी लेकर दें
प्रतिनिधि, तोरपाहर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुई लड़ाई में मिली जीत के उपलक्ष्य में 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. इस लड़ाई में हजारों भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इन शहीदों में तोरपा व रनिया के सैनिक भी थे, जिन्होंने माटी की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी. तोरपा के झटनीटोली के प्रभुदान हेमरोम, मरचा बड़का टोली कर पौलुस तोपनो, रनिया प्रखंड के कोयनारा गांव के रेजन गुड़िया इन्हीं शहीदों की लिस्ट में शुमार हैं. शहीद प्रभुदान हेमरोम व रेजन गुड़िया को त्रिपुरा के अगरतला में उसी जगह दफनाया गया, जहां परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का को दफनाया गया है. आज इन शहीद के परिजन गुमनामी में जी रहे हैं.
कब्र की मिट्टी लाकर दें :
रेजन गुड़िया व प्रभुदान हेमरोम के परिजनों की इच्छा कि कोई इन शहीदों के क़ब्र की मिट्टी लेकर दे. रेजन गुड़िया के भाई उम्बलन गुड़िया, बेटा मानबहाल गुड़िया, भतीजा इरमिया गुड़िया आदि परिजन कहते हैं कि रेजन गुड़िया के शहीद होने की खबर उसके एक साथी सैनिक लेकर आये थे. उनके परिवार को रेजन गुड़िया का कोई स्मृति अवशेष नहीं है. जहां रेजन गुड़िया को दफनाया गया है वहां परिवार के लोग कभी नहीं जा सके. उनका कोई फोटो भी नहीं है. उनके नाम पर सिर्फ तीन मेडल है. रेजन गुड़िया को संग्राम मेडल सहित उत्कृष्ट कार्य के लिए कुल तीन मेडल मिला था. परिवार वालों की इच्छा है कि जहां रेजन गुड़िया को दफ़न किया गया है वहां की मिट्टी कोई ला दें. उस मिट्टी को गांव में स्थापित कर पत्थलगड़ी करेंगे. रेजन की पत्नी नरमी गुड़िया की भी यही इच्छा थी. वह इसी साल नौ अक्टूबर को चल बसी. जीते जी उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई. झटनीटोली के शहीद प्रभुदान हेमरोम के परिजनों की भी यही इच्छा है. उन्हें भी अगरतला में ही दफनाया गया है. परिवार वाले चाहते है कोई कि उनके क़ब्र की मिट्टी लाकर दे.पीएम मोदी ने भेजा मोमेंटो :
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेजन गुड़िया के नाम एक मोमेंटो भेजा है. इसमें उन्होंने शहीद को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है. इंदिरा गांधी भेजा था संवेदना पत्र : प्रभुदान हेमरोम के परिजनों के पास तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक संवेदना पत्र भेजा था. पत्र में उन्होंने लिखा था कि प्रभुदान की शहादत पर पूरा देश कृतज्ञ है.मरचा के पौलुस तोपनो हुए हैं शहीद :
मरचा पंचायत के तुरीगड़ा बड़का टोली के पौलुस तोपनो भी 1971 की लड़ाई में शहीद हुए थे. उन्हें भी अगरतला में दफनाया गया है. सेना के जवान उनके कब्र से मिट्टी व कफन लाकर दिया था. जिसे गांव में स्थापित कर उनके नाम पर एक शिलालेख लगाया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है